उत्तराखण्ड
उत्तराखंड- खनन में हुए हजारों करोड़ के घोटाले का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, न्यायालय ने सरकार और सीबीआई से मांगा जवाब…
उत्तराखंड में खनन में हुए “हजारों करोड़ के घोटाले का मामला पहुंचा हाईकोर्ट… सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका” पर हाईकोर्ट ने सरकार और सीबीआई निदेशक से मांगा जवाब… आज माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में गौलपार निवासी “रविशंकर जोशी” द्वारा दायर जनहित याचिका में सुनवाई हुई। जिसमें तत्कालिन सरकार की गलत खनन नीति के कारण उत्तराखंड के राजकोष को हजारों करोड़ की भारी राजस्व हानि होने का आरोप लगाया गया है।
अपनी याचिका में रविशंकर जोशी द्वारा आरोप लगाया गया है की अक्टूबर 2021 में तत्कालिन राज्य सरकार द्वारा राज्य की खनन नीति में एक बड़ा संशोधन करते हुए निजी नाप भूमि से समतलीकरण, रीसाइक्लिंग टैंक, मत्स्य तालाब निर्माण आदि खनन कार्यों को “खनन” की परिभाषा से बाहर कर दिया गया था। साथ खनन की इन गतिविधियों पर पर्यावरण अनुमति की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया था तथा जेसीबी जैसे भरी मशीनों के प्रयोग की खुली छूट दे दी गई। इस नीति के अंतर्गत निकाली जाने वाली खनन सामग्री को विक्रय करने पर रॉयल्टी की दर लगभग 70 रुपए प्रति टन निर्धारित की गई, जबकि राज्य में अन्य स्रोतों से निकलने की खनन सामग्री को विक्रय करने पर रॉयल्टी की दर 506 रुपए प्रति टन थी।
राज्य सरकार द्वारा खनन नीति में किए गए इस संशोधन को नैनीताल हाईकोर्ट ने गलत मानते हुए सितंबर 2022 में खारिज कर दिया था। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने इसे टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले के समान ही प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन माना तथा रॉयल्टी की दर में किए गए इस भारी अंतर को भी अवैध माना। अपनी याचिका में रविशंकर जोशी ने यह आरोप लगाया है की राज्य को केवल नैनीताल जिले से ही कुल 419 करोड़ रूपए से अधिक की राजस्व की हानि हुई है। इसी तरह हरिद्वार जिले में लगभग 91 करोड़ रूपए की राजस्व हानि हुई है। अनुमान है की खनन नीति में हुए इस संशोधन के कारण उत्तराखंड राज्य को 1500 से 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व की हानि हुई है। इतनी बड़ी राजस्व हानि स्पष्ट रूप से एक बड़ा घोटाले है।
अपनी याचिका में रविशंकर जोशी ने यह भी कहा है की क्योंकि खनन नीति में यह संशोधन तत्कालित सरकार के शीर्ष स्तर द्वारा किया गया था, इस कारण हजारों करोड़ के इस घोटाले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच राज्य की जांच एजेंसी द्वारा संभव नहीं है। अपनी याचिका में रविशंकर जोशी द्वारा उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्वारा जांच की मांग की याचिका में की गई है। जांच में दोषी नेताओं व अधिकारियों से राजकोष को हुए नुकसान की भरपाई कराने और इन पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग भी याचिका में की गई है। रविशंकर जोशी की इस जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश श्री विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ द्वारा सरकार एवं सीबीआइ को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाबदावा दाखिल करने को आदेशित किया है। अगली तिथि 23 अगस्त निर्धारित की गई है।मीडिया से बात करते हुए याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी ने 2022 के विधानसभा के चुनावों से ठीक पहले खनन नीति में किए गए इस बड़े बदलाव की तुलना दिल्ली में आप सरकार द्वारा शराब नीति में बदलाव कर 150 करोड़ का घोटाले से की है।
रविशंकर जोशी ने कहा कि सीबीआई ने प्रभावी जांच कर दिल्ली के भ्रष्ट उपमुख्यमंत्री को जेल भेजा है तो फिर उत्तराखंड राज्य दो हजार करोड़ का घोटाला करने वाले भ्रष्टाचारी आजाद क्यों घूम रहे है। इस प्रकरण पर अब उत्तराखंड शासन द्वारा गठित तीन अपर सचिवों की जांच समिति को याचिकाकर्ता ने सीबीआई जांच से बचने के लिए अपनाया गया बेहद हास्यास्पद कदम बताया है।