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उत्तराखण्ड

कैबिनेट पिता प्रतिनिधि पुत्र आख़िर क्यों पड़ गए मनोज के पीछे… पार्टी के सर्वे ऐसा हुआ क्या।

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा चुनावी रण में उतरने को पूरी तरह से तैयार है। भाजपा एक तरफ चिंतन कर रही है, कि त्रिवेन्द्र को क्यों हटाया उसका जवाब जनता को क्या देना होगा और दूसरी तरफ कांग्रेस, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बनवाने के लिए दिल्ली में उलझी है।

हल्द्वानी के कालाढूंगी विधानसभा की बात करें तो कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक बंशीधर भगत व उनके पुत्र व विधायक प्रतिनिधि विकास भगत इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर खासा मेहनत करते नज़र आ रहें हैं। राजनीतिक विरासत कहें या फिर पुत्र मोह में बंशीधर भगत द्वारा अपने पुत्र विकास भगत को प्रमोट किया जा रहा है।

उसी विधानसभा से भाजपा के अन्य कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे है, जिसमे भाजपा प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट, वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता मनोज पाठक व सुरेश तिवारी मुख्य रूप से है। भगत पिता-पुत्र दो होने वाले उम्मीदवारों को छोड़ एक उम्मीदवार मनोज पाठक पर अपना जोर जमाने की कोशिस कर रहें हैं, जबकि मनोज द्वारा बंशीधर भगत को दो विधानसभा चुनाव लड़ाए है, आख़िर ऐसा क्या रहा कि पिता पुत्र के निशाने पर मनोज आने लगे हैं।

कालाढूंगी विधानसभा में जनता के बीच मनोज पाठक द्वारा लगातार की जा रही बैठकों से पिता-पुत्र में असुरक्षा का भाव उत्पन्न होने लगा है। कही विधायक प्रत्याशी पार्टी किसी अन्य कार्यकर्ता को न बना दे… पिछले दिनों पुत्र की एक कॉल रिकॉर्डिंग भी काफी चर्चाओं में रही जिसमे पुत्र द्वारा एक व्यक्ति को यह कहा जा रहा था कि मनोज पाठक के साथ जन-मिलन कार्यक्रमो में प्रतिभाग न किया जाए। भाजपा द्वारा दो बार किये गए सर्वे में मनोज पाठक की बढ़त से अब पिता-पुत्र और ज्यादा तिलमिलाए हुए है।

जहां-जहां बीजेपी कार्यकर्ता मनोज पाठक के माध्यम से कुछ बेहतर व सामाजिक कार्य किये जाते हैं, तो वहां कैबिनेट मंत्री द्वारा काम रुकवाने व दिशा भ्रमित करने का काम किया जाता है। पिता बंशीधर भगत को आभास होने लगा है कि उनकी उम्र का हवाला देकर पार्टी इस बार उनका विधायक का टिकट काट सकती है, उसी रणनीति के तहत वह अपने पुत्र विकास भगत को विरासत के रूप में विधायक का टिकट दिलवाने व उसे प्रमोट करने की जुगद में जुटे हैं। लेकिन भाजपा में तो परिवारवाद को बढ़ावे की राजनीति नही चलती है, देखते है समय क्या दिखाता है।

भाजपा और कांग्रेस दोनो की दलों के लिए आगामी विधानसभा चुनाव किसी चुनौती से कम नही है, साथ ही आम आदमी पार्टी अपना बजूद बनाने व जमीन तलाशने की जुगद में लगी है। विधानसभा बचुनाव तक बरसाती मेंढकों की तरह दर्जनों राजनीतिक पार्टियां देवभूमि में प्रतिभाग करती नज़र आएंगी।

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