इलेक्शन 2022
लालकुआं विधायक से जनता की इतनी नाराज़गी आख़िर क्यों…? स्थानीय लोगो ने लगाएं गम्भीर आरोप।
लालकुआं विधानसभा के भाजपा विधायक नवीन दुमका से उनके ही क्षेत्र के लोग परेशान हो गए हैं, हों भी क्यों न?
चुनाव के समय जो विधायक बड़ी-बड़ी बातें करते थे, आज उन्हीं की उपेक्षा के कारण क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। विधायक ने 4 सालों में अपने इलाके की सुध लेने की जहमत तक नहीं उठाई और न ही अपने व्यवहार से लोगों का दिल ही जीत पाए। उल्टा विधायक जी अपनी सत्ता का रसपान करने में इतने चूर रहते हैं कि अगर कोई उनके सामने अपनी समस्या लेकर पहुंच भी जाए तो उसे दुत्कार ही मिलती है।
विधायक नवीन दुमका के क्षेत्र के लोग चार सालों से उनसे अच्छी सड़क सुविधा की आस लगाकर बैठे हैं। यहां की बदहाल सड़क की मरम्मत के नाम पर लोगों को केवल आश्वासन मिलता है। लोग सड़क पर चलने की बजाय कच्चे रास्तों पर चलना ज्यादा सही मान रहे हैं, क्योंकि विधायक जी की इस सड़क में इतने गड्ढे हैं कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क है, कहना जरा मुश्किल है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी शिकायत पर मिट्टी भरान करवा देते हैं जो बरसात से तुरंत ही बह जाती है और ये सड़क तालाब से कम नजर नहीं आती। इतने सालों में लोगों ने न जाने कितनी मिन्नतें की, लेकिन विधायक के कानों में जूं तक नहीं रेंगी और जनता की उम्मीदें भी सड़कों की तरह टूटती चली गईं।
मालूम हो कि भाजपा के विधायक नवीन 2017 के विधानसभा चुनाव में जीतकर विधानसभा गए थे, तब उन्होंने विकास के बड़े-बड़े हवाई गुब्बारे छोड़े थे, लेकिन इन खोखले दावों ने इन ग़ुब्बारों की हवा निकाल दी।
इस बार लोगों में उनके प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है। दुमका बंगर, बच्ची धर्मा इलाके में पिछले 4 सालों में विधायक जी ने एक बार भी झांकने की कोशिश नहीं की कि क्षेत्र की सड़कों का क्या हाल है और वहां के लोगों की सुध भी नहीं ली।
लोगों को आए दिन सड़क दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है। लोगों ने आरोप लगाया है कि समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, सड़क पूरी खस्ताहाल हो चुकी है, उस पर भी विधायक जी हैं कि उनका दिल नहीं पसीजता… उनके पास न जनता की शिकायतें सुनने के लिए समय है, न विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने का। विधायक के इसी रवैय्ये के कारण स्थानीय लोगों ने अब वोट की चोट से उन्हें सबक सिखाने का मन बना लिया है। ताकि ऐसे चुनावी नेताओं को ये बताया जा सके कि जनता ही जनार्दन है और बिना काम के न वोट मिलता है न ही सम्मान।