इलेक्शन 2022
आख़िर क्यों माँगनी पड़ी ‘हरदा’ को माफ़ी… कहीं झाड़ू तो नहीं है वजह… कहा करूंगा प्रायश्चित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यूँ सरेआम माफी माँगकर सभी को चौका दिया है, अपनी ओर से कहे गए शब्दों पर अपने माफीनामे में पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखा कि कभी आप सम्मान जताते हुये भी, कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। उन्होंने कहा मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है।
दरअसल ये माफीनामा उनके अपने पक्ष के लोगों को पंज प्यारे कहने के बाद उपजा है। उन्होंने कहा कि मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूंँ और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं प्रायश्चित के रूप में अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। वहीं पूर्व सीएम ने अपने माफीनामे में कहा कि मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ।
पूर्व सीएम नेे कहा कि उन्होंने चंपावत जिले के श्री रीठा साहब के मीठे-रीठे को देश के राष्ट्रपति से लेकर, अनगिनत लोगों तक प्रसाद स्वरूप पहुंचाने का काम किया है। साथ ही अपनके कार्यकाल की बात दोहराते हुए कहा कि जब वे मुख्यमंत्री बने तो श्री नानकमत्ता साहब और रीठा साहब, जहां दोनों स्थानों पर श्री गुरु नानक देव जी पधारे थे, उन दोनों पवित्र स्थानों को सड़क से जोड़ने का काम किया गया। वहीं हिमालयी सुनामी के दौर में हेमकुंड साहिब यात्रा सुचारू रूप से चल सके इसके लिए वहां उनके कार्यकाल में हुये काम को आज भी देखा जा सकता है। उन्होंने कार्यकाल खत्म होने की बेबसी को जताते हुए कहा कि कुछ और समय मिल गया होता तो उनके ही कार्यकाल में घंगरिया से हेमकुंड साहब के मार्ग तक रोपवे का निर्माण भी शुरू हो चुका होता। उन्होंने अपने शब्दों को आदर सूचक शब्द बताकर उपयोग किये जाने पर माफी मांगी औऱ कहा कि अपने शब्दों के लिये मैं सबसे माफी चाहता हूँ।