उत्तराखण्ड
कांग्रेस प्रवक्ता दीपक की याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब।
हल्द्वानी नगर के दमुवाढुंगा क्षेत्र में जमीन के मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट में तिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। बुधवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
दीपक बल्यूटिया की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि जवाहर ज्योति दमुआढुंगा लगभग 650 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमें लगभग 7000 परिवार निवास करते हैं। 1958 के बंदोबस्त के समय इस क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र में शामिल कर लिया गया था। तथा 6 जुलाई 1969 को यहां पर ग्राम पंचायत का गठन हुआ। इस क्षेत्र के विकास को दृष्टिगत रखते हुए 5 मार्च 2014 के शासनादेश से इस क्षेत्र को 3 वार्ड 35, 36 तथा 37 में विभक्त कर नगर निगम में शामिल किया गया। साथ ही इस क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र से अनारक्षित भूमि में परिवर्तित कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 की धारा 2 की उप धारा 4 के अंतर्गत उक्त भूमि को यहां के निवासियों को भूमिधरी का अधिकार प्रदान करने हेतु जोड़ दिया गया। इसके बाद 15 दिसंबर 2016 की अधिसूचना द्वारा उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 (उत्तराखंड राज्य में यथा प्रवत) की धारा 3 के खंड 25 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जवाहर ज्योति दमुआढुंगा को राजस्व ग्राम गठित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। 20 दिसंबर 2016 की अधिसूचना के आधार पर सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं के अधीन उक्त ग्राम को रखा गया अर्थात बंदोबस्ती सर्वेक्षण द्वारा पूरे ग्राम के नक्शे एवं अभिलेख तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
जिससे जवाहर ज्योति दमुआढुंगा में रहने वाले निवासियों को भूमि के विनियमितीकरण के अधिकार प्रदान किए जा सके। किंतु कोविड-19 के दौरान सरकार द्वारा 13 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई। इसके तहत जवाहर ज्योति दमुआढुंगा की बंदोबस्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया तथा भूमि सर्वेक्षण एवं अभिलेख प्रणाली की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया।
ऐसे में दमुवाढूंगा निवासियों को भूमि के विनियमितीकरण संबंधी अधिकार मिलने की संभावना खत्म हो गई। इसलिए याचिकाकर्ता ने याचिका में 13 मई 2020 की अधिसूचना को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी। याचिका में न्यायालय से भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 48 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भूमि में सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं को पुनः शुरू कराने की प्रार्थना की गई। ताकि जवाहर ज्योति दमुवाढूंगा में निवास कर रहे
निवासियों को उनके अधिकार प्रदान किए जा सके। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट संदीप तिवारी ने पैरवी की। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने राज्य सरकार को जवाब देने के आदेश पारित किए। वहीं हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र में रह रहे हजारों परिवारों को फिर से जमीन में मालिकाना हक मिलने की उम्मीद पैदा हो गई है। कोर्ट के इस आदेश से क्षेत्र में खुशी की लहर है। स्थानीय लोगों ने कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया का आभार जताया है।