उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- गिरफ्तारी के बाद अब्दुल मलिक से व्यापारिक तौर पर जुड़े लोगों पर प्रशासन और पुलिस की नज़र
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में दंगे का मुख्य अभियुक्त अब्दुल मलिक को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया, जिसके बाद अब्दुल मलिक की फरारी की कहानी समाने आई है। अब्दुल मलिक हल्द्वानी से सीधे दिल्ली भागा। नौ फरवरी की रात दिल्ली में शरण ली। इसके बाद गुजरात, मुंबई, चंडीगढ़ व भोपाल में जाकर छुप गया था। उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश व दिल्ली से भोपाल तक उसने कुल सात राज्यों की सीमा लांधी। पूरा सफर अब्दुल मलिक ने कार से किया। अब्दुल मलिक बनभूलपुरा उपद्रव का मुख्य साजिशकर्ता है। उसे अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रव होने की आशंका पहले से थी।
इसी हिसाब से उसने तैयारी की थी। बताया गया कि मलिक के परिवारजन पहले ही घर से चले गए थे। मलिक उपद्रव के बाद अपनी कार से दिल्ली पहुंचा, उसे पुलिस की भनक लगते ही वह पुलिस को चकमा देने लगा। पुलिस के अनुसार, गुजरात, मुंबई व भोपाल में मलिक की रिश्तेदारी है। उसका खुद का भी साम्राज्य है। इसलिए कुछ दिन मुंबई व भोपाल में छुपा रहा। जब पुलिस ने उसके करीबियों व संपत्ति की जानकारी जुटाई तो मलिक को पकड़े जाने डर सताने लगा। इसलिए उसने दिल्ली में आकर शरण ले ली। वहीं बैठकर शनिवार को अब्दुल मलिक ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय में प्रार्थनापत्र दिया था।
जिसके बाद मलिक को पुलिस गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की छह टीमें मलिक के पीछे पड़ी थीं, मगर अंत में सफलता एसओजी के हाथ लगी। अब्दुल मलिक ने 17 दिन से अपनी मोबाइल नहीं खोला था। साथ ही बैंक से लेनदेन भी नहीं किया। मलिक अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसने मोबाइल खोला तो पुलिस को उसकी लोकेशन पता चल जाएगी। इसलिए कोई ऐसा काम नहीं करना चाहता था जिससे उसके पास तक पुलिस पहुंच सके।
पुलिस ने मलिक को पकड़ने के लिए अपना मुखबिर तंत्र को मजबूत किया और मैनुअली काम करने के बाद अपनी गिरफ्त में लिया। जिसके बाद उसे दिल्ली के आजादपुर के नवाबजंग से गिरफ्तार कर हल्द्वानी लाया गया। एसएसपी प्रहलाद मीणा ने बताया की अब्दुल मलिक की पुलिस को जो भी प्राइमरी लीड मिल रही थी उस पर लगातार प्रयास किया जा दे थे, लगातार दबिशे डालने के बाद एसओजी टीम ने अब्दुल मलिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया। मलिक से दंगे की घटना को लेकर सभी पूछताछ की जा रही है। किस तरह से अब्दुल मलिक ने दंगाइयों को उकसाया है। साथ ही तथ्यों के आधार पर पुलिस अन्य विभागों से डाटा शेयर कर रही है। वही जो तथ्य सामने आयेंगे उन्हें विवेचना में शामिल किया जाएगा। वही सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि अब्दुल मलिक के व्यापारिक साझेदारों पर भी प्रशासन और पुलिस की निगाह बनी हुई है, जरूरत पड़ने पर विवेचना का हिस्सा बनाया जा सकता है।