उत्तराखण्ड
आख़िर क्यों बढ़ रहा है देवभूमि में महिला अपराध का ग्राफ…
देवभूमि उत्तराखंड की शांत वादियों में महिलाएं असुरक्षित होती जा रही हैं। प्रदेश में दुष्कर्म का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, राज्य का कोई भी जिला दुष्कर्म से अछूता नहीं है। अन्य गम्भीर अपराधों की तुलना में दुष्कर्म के अपराध ज्यादा दर्ज हो रहें है जो बेहद चिंताजनक है।
महिला अपराधों की बात की जाय तो पुलिस मुख्यालय द्वारा दिये गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में पिछले वर्षों की तुलना में दुष्कर्म के 570 मामले दर्ज हुए। जबकि वर्ष 2019 में 545 और वर्ष 2018 में 506 मामले दर्ज हुए थे। दुष्कर्म के मामलों में गढ़वाल मंडल टॉप पर रहा। गढ़वाल में पिछले तीन वर्षों में क्रमश: 311, 337 और 320 मामले दर्ज हुए। जबकि कुमाऊं में क्रमश: 195, 207 और 250 मामले दर्ज हुए। जिलों की बात करें तो वर्ष 2020 में ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा 151 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। हरिद्वार में 141 और देहरादून में 118 मामले दर्ज हुए। यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि राज्यभर में हत्या, डकैती, लूट, चोरी, अपरहण, फिरौती, ऑटो लिफ्टिंग आदि गंभीर अपराधों में कमी आई, लेकिन महिलाओं से दुष्कर्म के मामले नहीं थमे है, इसमें साल दर साल इजाफा हो रहा है।
प्रदेश में दहेज हत्या के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2018 में दहेज हत्या के 62 मामले दर्ज हुए थे। वर्ष 2019 में इसमें कुछ कमी आई और 55 मामले दर्ज हुए। लेकिन वर्ष 2020 में दहेज हत्या का ग्राफ बढ़कर 64 पहुंच गया। सर्वाधिक दहेज हत्या के 20-20 मामले हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर जिले में हुए। देहरादून जिला आठ हत्याओं के साथ दूसरे जबकि नैनीताल छह हत्याओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
कोरोना काल में एक ओर जनजीवन थम सा गया था। लोग घरों में कैद रहने पर मजबूर हुए, इसके इतर गंभीर अपराधों में कमी आई, लेकिन दुष्कर्म की वारदातें नहीं थमी। वर्ष 2020 के कोरोना काल में पिछले दो वर्षों की तुलना में दुष्कर्म की अधिक वारदातें हुई। 2018 में 506 और 2019 में 545 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए। जबकि 2020 में आंकड़ा बढ़कर 570 पहुंच गया। दुष्कर्म का ग्राफ बढ़ने का सिलसिला इस वर्ष भी जारी है।