उत्तराखण्ड
क्या हुआ जब गजराज चल पड़े पहाड़ों की ओर, मामला सोशल मीडिया पर हुआ वायरल…
हाथी जैसे भारी भरकम जानवर को लेकर लोगों के मन में हमेशा से यही रहता है कि इतना भारी भरकम जानवर पहाड़ी भला कैसे चल सकता है लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है जिसमें साफ देखा जा रहा है हाथी पहाडियों में दौड़ता दिखाई दे रहा है। यह गढ़वाल का इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि महिलाएं गढ़वाली भाषा में लोगों को चेतावनी दे रही है कि हाथी आ रहा है साफ है कहा जाता था कि हाथी पहाड़ नहीं चढ़ सकता लेकिन यहां तो हाथी पहाड़ चढ़ रहा है।
उत्तराखंड में किए गए एक सर्वे में पता चला है कि हाथी भी पहाड़ियों पर चढ़ सकते हैं। राज्य वन विभाग द्वारा पिछले हफ्ते हाथियों की आबादी का अनुमान लगाने के लिए किए एक सर्वे में किया था। जिसमें ये चौंकाने वाली बात सामने आईं। पहले यह माना जाता रहा है कि हाथी हमेशा तराई इलाकों के निचले क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं और वे पहाड़ों पर नहीं चढ़ सकते थे। लेकिन एक सर्वे में पता चला कि हाथी मध्य हिमालय इलाके मैं भी मौजूद थे। इसका मतलब वे पहाड़ियों पर भी आराम से चढ़ सकते हैं।
उत्तराखंड़ के मध्य हिमालय में पहले कभी हाथियों को नहीं देखा गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इशारा करता है कि हाथियों ने खाने और पानी की तलाश में तराई इलाकों से उच्च इलाकों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है।वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हाथियों के प्राकृतिक आवास को जलवायु परिवर्तन और इंसानी हस्तक्षेप की वजह से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने इनकी जनगणना के लिए एक सर्वे किया। पहले भी विभाग ने सर्वे किए हैं लेकिन अक्सर मैदानी इलाकों और तराई इलाकों जैसे हल्द्वानी रामनगर देहरादून के कुछ हिस्से लैंसडाउन और कॉर्बेट एंड राजाजी टाइगर रिजर्व में ही हाथियों की संख्या को गिनने का काम करते थे।
लेकिन इस सर्वे में वन विभाग ने पहली बार पहाड़ी इलाके जैसे अल्मोड़ा, नैनीताल, मसूरी, नरेंद्र नगर, चंपावत और कलासी को भी इस सर्वे में शामिल किया गया था। उन्होंने पाया कि शुरुआती नतीजों के आधार पर इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि पहाड़ी जंगली संभागों जैसे अल्मोड़ा मसूरी और नैनीताल में भी हाथियों की मौजूदगी देखी गई है।