इलेक्शन 2022
आचार संहिता से ठीक पहले कर गए सीएम धामी यह काम, विपक्ष को दे गए एक और बड़ा मुद्दा…
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा विपक्ष को एक बड़ा चुनावी मुद्दा परोसने का कार्य किया गया, इसी तरह आचार संहिता लगते ही आनन फानन में सीएम धामी ने अपने एक विवादित पीआरओ को बहाल कर विपक्ष को बैठे बैठाए चुनावी मुद्दा दे दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व प्रदेश अध्यक्ष काँग्रेस गणेश गोदियाल ने मुख्यमंत्री धामी को खनन प्रेमी का तक तमगा दे डाला है।
“एक कहावत है न, सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का!”
चुनाव आचार संहिता से चंद घंटों पहले फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी बनाए नंदन सिंह बिष्ट भी अपनी दोबारा तैनाती का लेटर पाकर इसी कहावत को याद कर रहे होंगे! सचिवालय प्रशासन के सचिव वीके सुमन भी इस तैनाती पत्र पर हस्ताक्षर करते यही कहावत दोहरा रहे होंगे! वरना जिस पीआरओ पर बीते दिसंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मौखिक आदेश को लिखित आदेश बनाकर बागेश्वर एसपी पर अवैध खनन के आरोप में पकड़े गए डंपर छोड़ने को दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगा हो उसकी यूँ आचार संहिता लगने के चंद घंटे पहले पुन: तैनाती न कर दी गई होती। कहने को अवैध खनन करते पकड़े गए डंपर को छुड़ाने को लेकर जिला प्रशासन को सीएम के मौखिक आदेश को लिखित आदेश में तब्दील कर दबाव बनाने के मामले की जांच कराई गई।
जिसमें नंदन सिंह बिष्ट पूरी तरह से पाक साफ पाए गए और जांच में शिकायत में ही खोट पाया गया। लिहाजा नंदन सिंह बिष्ट को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पद से हटाया गया और आचार संहिता से कुछ घंटे पहले दोबारा नियुक्ति कराकर मुख्यमंत्री धामी ने अपनी भूल सुधार कर ली। अब यह अलग बात है कि पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट को दोबारा तैनाती दिलाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीतिक विरोधियों को हमलावर होने को बैठे बिठाए अच्छा मौका दे दिया है। आखिर नंदन सिंह बिष्ट का पत्र विधानसभा के आखिरी सत्र के समय उजागर हुआ था जिसके बाद विपक्षी कांग्रेस से लेकर मीडिया ने इस मुद्दे पर जमकर धामी सरकार को घेरा। लेकिन अब चुनाव में जाते-जाते मुख्यमंत्री धामी के सलाहकारों ने नंदन की पुन: नियुक्ति कराकर नए सिरे से खनन के खेल में सरकार की घेराबंदी का मौका दे दिया है।