उत्तराखण्ड
हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर कार्यशाला आयोजित
हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों व विद्यार्थियों को पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करना रहा।
कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. अरूण जोशी, विभागाध्यक्ष डॉ. आर. जी. नौटियाल व अतिथि चिकित्सकों ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न परीक्षणों पर अपने विचार एवं अनुभव साझा किए।
डॉ. आर. जी. नौटियाल ने स्पिरोमेट्री के बारे में बताया कि यह फेफड़ों की कार्यक्षमता मापने का एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। इससे यह पता चलता है कि रोगी कितनी हवा अंदर ले सकता है, कितनी हवा बाहर छोड़ सकता है और कितनी तेजी से सांस छोड़ सकता है। यह परीक्षण अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियों के निदान और उपचार के आकलन में उपयोगी है।
दिल्ली एम्स के डॉ. अरूण अचेलम एम. ने फीनो परीक्षण (Fractional Exhaled Nitric Oxide) के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण सांस छोड़ने वाली हवा में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को मापकर फेफड़ों की सूजन का पता लगाने में मदद करता है, विशेषकर अस्थमा के मामलों में।
फोर्टिस हॉस्पिटल दिल्ली के डॉ. राहुल कुमार शर्मा ने एफओटी (Forced Oscillation Technique) परीक्षण पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह परीक्षण ध्वनि तरंगों की विभिन्न आवृत्तियों के माध्यम से फेफड़ों के यांत्रिक गुणों का मूल्यांकन करता है और सर्जरी से पहले फेफड़ों की कार्यक्षमता के आकलन में सहायक है।
नीलकंठ हॉस्पिटल के वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव सिंघल ने डीएलसीओ (Diffusing Capacity of the Lungs for Carbon Monoxide) परीक्षण की जानकारी दी। यह परीक्षण फेफड़ों की ऑक्सीजन स्थानांतरण क्षमता को मापता है और फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस, वाष्पस्फीति व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के निदान में मदद करता है।
इस अवसर पर डॉ. नीलाम्बर भट्ट, डॉ. रितु रखोलिया, डॉ. रवि कुमार शर्मा, डॉ. पंकज गुप्ता, डॉ. अरुण कपूर, डॉ. राहुल, डॉ. संजय सिंह, डॉ. अंतरा सहित रेजिडेंट चिकित्सक, आलोक उप्रेती
जनसंपर्क अधिकारी, पीजी व एमबीबीएस छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।



