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उत्तराखण्ड

कोटद्वार: पासपोर्ट ऑफिस पर अटका काम, सांसद बलूनी का बयान वायरल, शासन-प्रशासन पर उठे सवाल (वीडियो)

देहरादून/कोटद्वार: गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार में लंबे समय से प्रस्तावित पासपोर्ट कार्यालय केवल एक एमओयू साइन न होने की वजह से शुरू नहीं हो पा रहा है। अब इस देरी पर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने सियासी हलकों में गर्माहट बढ़ा दी है और शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।प्रदेश के छोटे से राज्य उत्तराखंड में नेताों के बयान अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। ऐसा ही ताज़ा मामला कोटद्वार पासपोर्ट कार्यालय का है। सांसद अनिल बलूनी ने विदेश मंत्रालय से कोटद्वार में पासपोर्ट ऑफिस खोलने का अनुरोध किया था, जिसके बाद मंत्रालय ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी थी। इसके लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा गया, जिस पर प्रशासन ने कोटद्वार तहसील में उपयुक्त स्थान भी आवंटित कर दिया।सांसद बलूनी ने आगे बढ़कर अपने सांसद निधि से 12.50 लाख रुपये पासपोर्ट कार्यालय की बिल्डिंग के लिए जारी भी कर दिए। इसके बावजूद एक साल बीत जाने पर भी जिला प्रशासन और विदेश मंत्रालय के बीच एमओयू साइन नहीं हो पाया, जिसके चलते कार्यालय का काम शुरू नहीं हो सका।इस देरी पर सांसद अनिल बलूनी ने अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि कठिन मेहनत से विकास कार्यों को मंजूरी दिलाते हैं, लेकिन जमीन पर उतरते ही कई फाइलें गायब हो जाती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कब शासन-प्रशासन जनहित के मुद्दों पर गंभीरता दिखाएगा।सांसद के वायरल बयान के बाद अब राज्य सरकार भी हरकत में आई है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उन्हें अब इस मामले की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई है और प्रयास किए जा रहे हैं कि जनहित से जुड़ा यह काम जल्द से जल्द पूरा हो।वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इस मामले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा के शासन में विकास कार्यों को लेकर सिर्फ जुमलेबाजी होती है। जिस पासपोर्ट कार्यालय की बात हो रही है, उसमें भी शासन के अधिकारी मंत्रियों पर हावी नज़र आ रहे हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोटद्वार में पासपोर्ट कार्यालय खुलता है तो पूरे गढ़वाल क्षेत्र—श्रीनगर, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, टिहरी और आसपास के क्षेत्रों—को बड़ा लाभ मिलेगा। लोगों को देहरादून जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और समय तथा धन दोनों की बचत होगी।लेकिन शासन-प्रशासन की सुस्ती और एमओयू की औपचारिकताओं में अटके इस महत्वपूर्ण जनहित कार्य की देरी अब प्रदेश सरकार के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। जनता उम्मीद कर रही है कि जल्द ही इस मामले का समाधान होगा और कोटद्वार में पासपोर्ट कार्यालय की शुरुआत होगी।

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