उत्तराखण्ड
युवाओं को क्यों लग रहा है कि UKSSSC पर लगेगा दाग और दोषी बनेगी धामी सरकार !
उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा लगातार युवाओं को रोजगार दिलाए जाने का दावा अब भाजपा सरकार के लिए गले की हड्डी बनने वाला है और हड्डी भी ऐसी कि ब्लैकलिस्टेड होने का दाग भी साथ लगेगा। दरअसल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्यभर में युवाओं को 24 हज़ार सरकारी नौकरियाँ बाँटने का दावा कर रहे हैं, ऐसे में दो राज्यों में ब्लैक लिस्टेड हुई एजेंसी पर धामी सरकार का भरोसा देखकर युवाओं को डर सता रहा है।
हालांकि ये सवाल फ़िलहाल बन्द अलमारी में कैद क़िताब जैसा है कि सीएम की घोषणा के तहत इन नौकरियों को दागी भर्ती के जरिए दिया जाएगा या फिर कोई नई व्यवस्था सरकार के पास है ??
लेकिन प्रदेश के युवा इस मुद्दे पर किसी भर्ती एजेंसी से निजी खुननस या राजनीतिक मंसूबों के चलते धामी सरकार से जल्द इस दाग़ी एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर बाहर का रास्ता दिखाने की माँग कर रहे है और सबूतों के आधार पर सीएम से एक्शन की भी गुहार लगा रहे हैं। वैसे युवाओं की ओर से पेश किए गए सुबूतों को देखकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि युवाओं का डर एकदम सटीक बातों की वजह से है।
पहला सुबूत ये सवाल कर रहा है कि जब NSEIT साल 2017 में यूपी में SI भर्ती परीक्षा में धाँधली के गंभीर आरोप लगने के चलते ब्लैकलिस्टेड कर दी गई थी, तो फिर ऐसी भर्ती एजेंसी को उत्तराखंड में अनुबंधित क्यों किया गया है ??
वहीं दूसरे सुबूत में युवाओं का कहना है कि जिस NSEIT का कच्चा चिट्ठा प्रदेश के युवा पिछले कई दिनों से खोल रहे हैं, उसपर धामी सरकार का भरोसा कैसे बना हुआ है ??
युवाओं ने साफ तौर पर NSEIT द्वारा मध्यप्रदेश में आयोजित कराई गई तीन परीक्षाओं को रद्द करने का मामला सामने रखा है। अब गंभीर सवाल यह है कि जब NSEIT पर पहले से संगीन आरोप लगते रहे हैं और अब मध्यप्रदेश सरकार ने छह माह की जाँच के बाद इस दाग़ी एजेंसी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है तो उत्तराखंड में इसे क्यों शरण मिल रही है ??
ऐसे में अब धामी सरकार की ओर से किए गए नौकरी के दावे और एंजेसी पर किया जा रहा भरोसा भाजपा की सियासत के लिए भी बड़े सवाल खड़े कर रही है।