उत्तराखण्ड
सोनिया, राहुल और प्रियंका के आख़िर क्यों भरोसेमंद हैं ‘हरदा’… जल्द भाजपा के पांच सालों का खोलेंगे चिट्ठा।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इन दिनों सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के बेहद भरोसेमंद नेता के रूप में सबके सामने निकल कर आए हैं। कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने कांग्रेस आलाकमान द्वारा दी गई हर जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ बखूबी अंजाम तक पहुंचाया है।
उत्तराखंड की बात कहें या हाल ही में पंजाब की सियासी उठापटक को शांत करने के लिए हो, हरीश रावत हर तरीके से कांग्रेस आलाकमान की उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। उत्तराखंड में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय राष्ट्रपति शासन को जीतना हो, या फिर पंजाब में कैप्टन अरमिंदर सिंह और सिद्धू के बीच बैलेंस बनाना हो, हरीश रावत हर तरीके से अपने काम को आखरी अंजाम तक पूरा करके दिखाया है।
ऐसे में उत्तराखंड के अंदर आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर से हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी देने वाला है। हरीश रावत मौजूदा समय में कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं, जो कि राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ-साथ सीडब्लूसी के मेंबर भी हैं।
वही हरीश रावत कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं। हरीश रावत ने हमेशा से कांग्रेस की विचारधारा को पूरी मजबूती से आगे बढ़ाने का काम किया है। जानकारों की मानें तो हरीश रावत विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के संकट मोचन की भूमिका निभाते है।
राजनीतिक अनुभव के साथ साथ हरीश रावत कूटनीति में भी किसी से पीछे नहीं है, राजनीति भी कूटनीति के बिना सम्भव नहीं है। हरीश रावत यानी ‘हरदा’ उत्तराखण्ड में एक जमीनी नेता तौर पर जाने जाते हैं, उत्तराखण्ड की संस्कृति, लोक पर्व व लोक व्यंजनों को ‘हरदा’ द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है। ‘हरदा’ की फैन फॉलोइंग प्रदेश की जनता के साथ साथ युवाओं में ज्यादा देखी जाती है।
हरीश रावत जब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री थे, उनके द्वारा लोक वादक, लोक व्यंजन, लोक पर्व, लोक नृत्य, जागर समेत तमाम कलाकारों को पारम्परिक रूप से आगे बढ़ाने का काम किया था, ‘हरदा’ द्वारा उत्तराखण्ड की हवा में असल पहाड़ बसाया गया था। पहाड़ का दर्द वही बेहतर जान सकता है जिसने पहाड़ को करीब से महसूस किया हो, आज भी हरीश रावत द्वारा अपने पैतृक गांव में कम से कम महीने में एक बार प्रवास रहता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहे भगवान केदारनाथ की यात्रा को लेकर कितना भी बखान करतें हो, असल में केदारनाथ के आम आदमी से लेकर यात्रा के भरोसे जीवन यापन करने वालो कि जुबानी सुनेंगे तो आप भी हरीश रावत का व्यक्तित्व जान पाएंगे। साफ तौर पर केदारनाथ के स्थानीय निवासियों का कहना है कि आपदा के बाद हरीश रावत जैसे मुख्यमंत्री नहीं होते तो, यात्रा दूसरे साल सुचारू नहीं हो पाती।
हरीश रावत अब फिर से विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तराखण्ड की जनता के बीच भाजपा सरकार के पांच सालों में किये गए कार्यो का हिसाब लेने पहुचने वाले है। पंजाब का विवाद निपटने के बाद जल्द प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष की औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। हरीश रावत द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरीके से कमर कस ली गई है। विधानसभा चुनावी रण में अब मुकाबला देखने लायक रहेगा।