उत्तराखण्ड
उत्तराखंड- युवाओं पर हुए लाठी चार्ज पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की नसीहत, कांग्रेस बोली भूल गए अपना कार्यकाल…
उत्तराखंड में बीजेपी सरकार के विरोध में बेरोजगार संघ के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उग्र आंदोलन किया था, जिसमें पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था। इसके विरोध में छात्रों ने पुलिस पर पथराव करते हुए जमकर नारेबाजी की थी, जिसको लेकर छात्रों पर हुई लाठीचार्ज के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि छात्रों पर लाठीचार्ज नहीं होनी चाहिए थी हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लाठीचार्ज को लेकर बेरोजगार युवाओं से माफी मांगी है।
त्रिवेंद्र रावत ने कहा की राज्य का पूर्व सीएम और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें इस घटना के लिए युवाओं से माफी मांगता हूं… उन्होंने कहा है कि ऐसी घटनाएं बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए, अगर युवाओं से कुछ गलतियां हुई है तो उनको अनदेखा भी किया जा सकता था, मेरा इसका यह कतई मतलब नहीं था, कि युवाओं पर लाठीचार्ज की जाए। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिपब्लिक मामलों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस बयान को तेजी से लपक लिया है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा है कि त्रिवेंद्र रावत जी को मेरी सलाह है, कि वह दूसरों के घरों पर पत्थर ना मारे क्योंकि उनका खुद का कार्यकाल उत्तराखंड के इतिहास में काले पन्नों में लिखा जाएगा। चार साल में ना कोई भर्ती परीक्षाएं हुई, जिस तरह से गैरसैंण में मात्र 14 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण के लिए 90 दिनों से आंदोलन पर बैठी हुई मातृशक्ति पर लाठी चार्ज करवाया गया था और उत्तरा बहुगुणा पंत जैसी वरिष्ठ शिक्षिका को भरे जनता दरबार में सबके सामने अपमानित किया गया, ऐसे में त्रिवेंद्र रावत को कम से कम युवाओं पर हुए लाठीचार्ज पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
गरिमा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब लाठीचार्ज सरकार का पर्यायवाची बन चुकी है, जब-जब भारतीय जनता पार्टी के नेता सत्ता प्राप्त करते हैं या कुर्सी पाते हैं, तो अहंकार और सत्ता की हनक उनके सर चढ़कर बोलती है और वह स्वयं को खुदा समझने लगते हैं। दसौनी ने कहा कि कोई किसी से कम नहीं, सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं, त्रिवेंद्र सरकार में महिलाओं पर लाठियां चलाई, धामी ने युवाओं पर हिसाब बराबर करके साबित कर दिया की भाजपा सरकार में युवाओं और महिलाओं की आवाज को दबाने का कार्य किया जाता है। बरहाल प्रदेश में युवाओं का आंदोलन जगह जगह देखने को मिल रहा है, तो वही दोनों ही पार्टी एक दूसरे पर राजनैतिक हमलावर हैं, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान को अपनी ही सरकार पर कटाक्ष जोड़कर देखा जा रहा है।