उत्तराखण्ड
उत्तराखंड- ऊर्जा प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ गए हैं और कटौती भी- यशपाल आर्य
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लोगों को 24 घंटे बिजली और पानी देने का वायदा किया था। लेकिन आज ज़मीन पर सारे वादे हवा हवाई हो गए हैं।अघोषित बिजली कटौती का असर राज्य में उद्योग, ग्रामीण क्षेत्रों समेत छोटे शहरों पर पड़ रहा है। प्रतिदिन सात से आठ घंटे तक बिजली कटौती हो रही है।एक तो लोगों को बिजली नहीं मिल रही, वहीं हर माह बढ़े-चढ़े बिल जरूर थमा दिए जाते हैं।विदित है सरकार ने बिजली के दामों में भारी बढ़ोतरी की है। BPL श्रेणी के उपभोक्ताओं से लेकर डोमेस्टिक श्रेणी, कमर्शियल श्रेणी, इंडस्ट्रीज श्रेणी में प्रति यूनिट बढ़ोतरी की गई है।
इस सब के बावजूद राज्य भर में शहरों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक हो रही अघोषित बिजली कटौती से आम उपभोक्ता परेशान हैं।दिन में लाइट की कटौती से जहां व्यापारी और नागरिक परेशान हैं वहीं शाम होते ही गांव- नगर में ऐसा अंधेरा छा जाता है जैसे कि युद्ध के समय का ब्लैक आउट हो । बिजली कटौती के चलते घरों और दुकानों के कूलर, पंखे, फ्रिज, एसी महज शो पीस बने हुए हैं। बिजली अगर आती भी है तो लो वोल्टेज या एक फेस बंद होने के कारण उसे न आया ही समझना चाहिए। ऐसे में सुबह से बिजली गुल होने के कारण आम जन को पानी भी नहीं मिल पा रहा है। बिजली न रहने से वेल्डिग, आरा मशीन, फर्नीचर आदि के व्यवसाय पर भी असर पड़ रहा है।
हर दिन हजारों रुपये का डीजल खर्चकर दुकानदार अपने व्यवसाय को जिंदा रख रहे हैं|लोग दिन में तो किसी तरह काम निपटा ले रहे हैं, लेकिन रात को लाइट न होने के चलते पंखे नहीं चल रहे हैं और मच्छरों का प्रकोप बढ़ जा रहा है। शिकायतें मिल रही हैं कि राज्य के बिजली बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी जनप्रतिनिधियों की बिजली की कमी से संबंधित शिकायतों को सुनने के लिए फोन तक नही उठाते हैं इससे सिद्ध होता है कि, उत्तराखण्ड में इस समय कल्याणकारी राज के बजाय शोषक राज चल रहा है जिसमें व्यवस्था और अधिकारियों पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है। राज्य को सामान्य दिनों में लगभग 55 मिलियन यूनिट विद्युत की जरुरत होती है। वर्तमान में कुल जरुरतों की 65 प्रतिशत बिजली ही उत्तराखंड स्वयं के उत्पादन से और केन्दीय कोटा से सुनिश्चितत करता है लेकिन जरूरत के 35 प्रतिशत याने लगभग 10 मिलियन यूनिट विद्युत की हमेशा कमी रहती है।
सरकार पिछले कुछ सालों में समय पर 99 मेगावाट की सिंगोली – भटवाड़ी परियोजना का पी0पी0ए0 और उधमसिंह नगर के 450 मेगावाट और 250 मेगावाट के दो गैस आधारित संयंत्रों से उचित बिजली खरीद समझौते नही किये वरना आज राज्य को न तो बिजली की कटौती का सामना करना पड़ता और न ही महंगी बिजली खरीदनी पड़ती। इस अघोषित बिजली की कटौती से राज्य की जनता को उबारने हेतु कांग्रेस माँग करती है कि उत्तराखंड को केंद्र सरकार सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराये और सेंटर पूल से मिलने वाले बिजली कोटे में बढ़ोंतरी करे और जल्द अघोषित बिजली कटौती से 24 घण्टे लो वोल्टिज और बार बार ट्रिपिंग की समस्या से जनता को राहत प्रदान करे ।