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कुमाऊँ

फिर चर्चाओं में सुशीला तिवारी अस्पताल, टेंडर में बड़ा खेल का आरोप

कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल हर समय विवादों में रहता है। आये दिन तीमारदारों से लेकर मरीजों तक से अभ्रदता के आरोप लगते रहते है। अब टेंडर को लेकर चर्चाओं में है। सुशीला तिवारी अस्पताल के परिसर में मेडिकल स्टोर के टेंडर में खास लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश होने के आरोप लग रहे हैं। बकायदा इसका विरोध भी शुरू हो गया है। जिसके बाद मामला बढ़ता देख कॉलेज प्रशासन ने हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।

दरअसल सुशीला तिवारी के मेडिकल स्टोर के टेंडर को लेकर नई शर्तें लगा दी गई हैं। आरोप है कि व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर में पांच करोड़ से अधिक का टर्नओवर प्रतिवर्ष मांगा गया है। साथ ही सरकारी, अद्र्ध सरकारी या मेडिकल कॉलेज का पांच वर्ष का अनुभव प्रमाण पत्र जैसी शर्त भी लगाई गई है। ऐसे में टेंडर की शर्तों को लेकर दवा विक्रेता विरोध शुरू कर दिया।

बकायदा सोमवार को प्राचार्य के समक्ष एक दवा विक्रेता रवि गुप्ता ने टेंडर को लेकर सवाल खड़े करते हुए लिखित में आपत्ति दर्ज कराई है। टेंडर के लिए 5 करोड़ 70 लाख रुपये हैसियत का प्रमाण पत्र भी मांगा गया है। गुप्ता ने कहा कि निविदा की शर्त पूरी करने के बाद हैसियत प्रमाण पत्र का कोई औचित्य नहीं है। इसका टेंडर 26 अगस्त को खुलेगा। इसके अलावा पिछली निविदाओं में कार्यक्षेत्र का पांच वर्ष का अनुभव मांगा गया था। लेकिन इस बार सरकारी, अद्र्ध सरकारी चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज से पांच वर्ष का कार्य अनुभव प्रमाण पत्र की बात कही गई है। इन शर्तों से स्थानीय फुटकर या थोक विक्रेताओं को कोई लाभ नहीं मिलेगा।

इस संबंध में राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरुण जोशी का कहना है कि टेंडर को लेकर आपत्ति आयी है। इस मामले में अध्ययन किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि टेंडर से मरीजों को अधिक फायदा हो। अगर कुछ जरूरी होगा तो कार्यवाही की जायेगी।

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