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उत्तराखण्ड

शिक्षा को लेकर सरकार की आंखे हुई बंद, अधर पर 45 बच्चों का भविष्य, मात्र एक शिक्षक के सहारे चल रहा हाईस्कूल…

राज्य सरकार पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र में शिक्षा को बेहतर करने की तो कई सारे दावे पिछले चार सालों से करती हुई आई है। लेकिन उनके दावों की पोल उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र कपकोट ब्लॉक में देखने को मिल रही है। बागेश्वर जनपद के कपकोट ब्लॉक स्थित दूरस्थ गांव जुनी में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले पांच सालों से एक ही शिक्षक बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहा है।

हम आपको बता दें कि वर्ष 2015-16 में जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण कर हाईस्कूल बनाया गया था, लेकिन यह विद्यालय में पिछले पांच सालों से एक ही शिक्षक बच्चों की शिक्षा दीक्षा पूरी करवा रहा है। विद्यालय में 70 से 75 बच्चों पर केवल दो शिक्षक हैं, एक जूनियर व एक हाईस्कूल के बच्चो के लिए हैं। यहां अध्यापक मुख्य रूप से विज्ञान, अंग्रेजी के नहीं सिर्फ हिंदी विषय के हैं।

राज्य सरकार की उदासीनता के चलते सभी बच्चे अपने भविष्य को लेकर बेहद परेशान हैं, कोरोना के चलते हाल में लगे लॉक डाउन में बच्चों पर ऑनलाइन पढ़ाई का जोर दिया जा रहा था, पहाड़ी क्षेत्र होने पर मोबाइल नेटवर्क कम होने के चलते बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से बंद है। अब स्कूल के खुलने के बाद अध्यापकों की कमी सबसे बड़ी परेशानी के रूप में आ खड़ी हुई है। वही बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में अध्यापक भी निरंतर स्कूल नहीं आ पाते हैं, जबकि इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों का नजरिया भी दुरस्त क्षेत्र के विद्यालयों के प्रति बेहद निराशाजनक रहता है।

दुर्गम क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अधिकार है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के चलते बच्चे अपनी शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। प्रदेश की जनता ने पिछले साड़े चार सालों में तीन मुख्यमंत्री देख लिए हैं, लेकिन आज भी शिक्षा के हालात वद से बदतर होती जा रही हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी बड़े-बड़े दावे तो जरूर करते हुए आए हैं, लेकिन उन्होंने कभी शिक्षकों की कमी पर हमेशा यही बोला कि सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर है और बच्चों के भविष्य से कभी खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। सरकार और मंत्री सिर्फ हवा हवाई दावे करते है धरातल की हकीकत बागेश्वर का दूरस्थ क्षेत्र कपकोट यह स्कूल बयां कर रहा है।

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