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उत्तराखण्ड

दो चरणों में होगी प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती,प्रथम चरण में 2917 पदों के लिये जनपदवार जारी होगा भर्ती विज्ञापन : धन सिंह


सूबे में प्राथमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया दो चरणों में आयोजित की जायेगी। प्रथम चरण में 2917 पदों पर जनपदवार विज्ञप्ति जारी की जायेगी जबकि द्वितीय चरण में 451 पदों पर प्रथमिक शिक्षकों की भर्ती की जायेगी। विभागीय अधिकारियों को माह जुलाई तक शिक्षकों की चयन प्रक्रिया सम्पन्न करने के निर्देश दे दिये हैं। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक एलटी की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र कराने व सभी विद्यालयों में समय पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने सहित बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज यमुना कॉलोनी स्थित शासकीय आवास पर विद्यालयी शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में हो रही देरी पर विभागीय अधिकारियों को फटकार लगाई। डा0 रावत ने बताया कि उच्च न्यायालय में दाखिल रिच याचिका व अन्य विभागीय निर्णयों के दृष्टिगत बेसिक शिक्षकों के कुल रिक्त 3368 पदों पर भर्ती प्रक्रिया दो चरणों में आयोजित की जायेगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण के तहत प्राथमिक शिक्षकों के 2917 पदों पर भर्ती की जायेगी। जिसके लिये विभागीय अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर जनपदवार विज्ञप्ति जारी करने को कहा गया है। डा. रावत ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल रिच याचिकाओं के चलते प्राथमिक शिक्षकों के अवशेष 451 पदों पर न्यायालय के निर्णय के उपरांत दूसरे चरण में भर्ती प्रक्रिया शुरू की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की कमी को दूर करने के दृष्टिगत भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र सम्पन्न कर चयनित शिक्षकों को माह जुलाई तक नियुक्ति प्रदान करने को विभागीय अधिकारियों को कहा गया हैं ताकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित न हो और पठन-पाठन सुचारू रूप से चल सके।

बैठक में माध्यमिक शिक्षा की समीक्षा करते हुये विभागीय मंत्री डा. रावत ने अधिकारियों को सहायक अध्यापक (एलटी) की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिये। इसके अलावा उन्होंने पादर्शिता के साथ शिक्षकों के वार्षिक स्थानांतरण समय पर करने, प्रदेशभर के विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकों को उपलब्धता सुनिश्चित कर छात्र-छात्राओं को कक्षावार किताबे वितरित करने को भी कहा। डा. रावत ने विभागीय अधिकारियों को बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित करने तथा विद्यालयों में चल रहे निर्माण कार्यों में तेजी लाने के भी निर्देश दिये।

बैठक में निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल, निदेशक बेसिक शिक्षा आर.के. उनियाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट उपस्थित रहे जबकि सभी जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में प्रतिभाग किया।

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2025:- ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार            समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।             मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई।  निरंकारी प्रदर्शनीसमागम में ’विस्तार-असीम की ओर’इस मुख्य विषय पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी श्रोताओं के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी रही। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः दो भागों में विभाजित किया गया था जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी दी गई थी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया गया था जिसमें प्रोजेक्ट वननेस जो पुरे भारतवर्ष में चल रहे है उसके सम्बंधित कुछ विशेष मॉडल्स इस प्रदर्शनी का केंद्रबिंदू बने रहे। इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट अमृत और निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स को देखने के लिए श्रद्धालु जन उत्साहित दिखाई दिए।    कायरोप्रॅक्टिक शिविरसमागम में काईरोप्रैक्टिक तकनीक के द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ का शिविर आयोजित किया गया। यह तकनीक पूर्ण तोर पर रीढ़ की हड्डी से जुडी है। इस तकनीक द्वारा हर रोज लगभग हजार लोग समागम में इस सेवा का लाभ उठा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया, यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, अमेरिका के 18 डॉक्टरों की टीम समागम ग्राउंड में अपनी निस्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रही थी। इस वर्ष करीब 3500 से अधिक जरुरतमंद श्रद्धालुओं ने इस स्वास्थ्य सुविधा का लाभ प्राप्त किया। निःशुल्क डिस्पेन्सरीसमागम स्थल पर 60 बिस्तर का एक अस्पताल बनाया गया था जिसमें किसी को कोई गंभीर समस्या आने पर आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई थी। इसके अतिरिक्त समागम स्थल पर तीन स्थानों पर होम्योपैथी डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिसमें रोजाना 3 से 4 हजार जरुरतमंद श्रद्धालु लाभ प्राप्त कर रहे थे। समागम स्थल पर 11 एम्बुलेंस रखी गई थी। वाय.सी.एम.ए.अस्पताल और डी.वाय.पाटिल  अस्पताल द्वारा भी अपनी डिस्पेन्सरीज की सेवायें उपलब्ध कराई गई थी। इन डिस्पेंसरियों में 282 डॉक्टर्स की टीम एवं लगभग 450 सेवादल स्वयंसेवक अपनी सेवाएं दे रहे थे। लंगर            समागम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क लंगर की व्यवस्था तीन स्थानों पर  की गई थी जिसमें सतगुरु प्रवचन के के अलावा 24 घंटे लंगर उपलब्ध किया जा रहा था। इस लंगर व्यवस्था में 72 क्विंटल चावल एक ही समय पर पकाने की क्षमता थी। 70 हजार श्रद्धालु एक ही समय भोजन कर सकते थे। इसके अतिरिक्त अत्यधिक रियायति दरों पर 4 कॅन्टीन्स  की व्यवस्था की गई थी जिसमें अल्पाहार, मिनरल वाॅटर एवं चाय-काॅफी इत्यादि सामग्री प्राप्त हो रही थी।

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