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उत्तराखण्ड

इस जनहित याचिका पर सरकार से किया जवाब तलब, त्रिवेन्द्र के कौन है ये दो गुर्गे…

त्रिवेंद्र सरकार में हुए भ्रष्टाचार की परतें अब धीरे-धीरे खुलने शुरू हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट व ओएसडी धीरेंद्र पवार द्वारा सिंधवाल गांव में खरीदी गई 47 बीघा जमीन, इस जमीन पर पहुंचने के लिए बनाए गए करोड़ों रुपये की लागत के पुल को लेकर पत्रकार उमेश कुमार द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है।

प्रदेश में अन्य कार्यों की गति जरूर धीमी रहती होगी पर यहां बने पुल को मात्र 12 महीने में तैयार करवा दिया गया था। याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि सरकार इस मामले में जवाब प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट द्वारा सरकार से जवाब मांगने बाद पूर्व सीएम के दोनो गुर्गे गुणा गणित में जुट गए हैं।

आपको बता दें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की सरकार में दिल्ली से आए पैराशूट मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट और ओएसडी धीरेंद्र पवार ने सिंधवाल गांव में 47 बीघा जमीन खरीदी थी। जिसके लिए सत्ता का फायदा उठाते हुए तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार से करोड़ों का पुल बनवाया गया।

इस करोड़ों रुपयों के पुल की कार्यदाई संस्था लोक निर्माण विभाग थी। इस पुल की खूबी यह थी, कि यह मात्र 12 महीने में तैयार हुआ था। साथ ही इस पुल से आम जनता को कोई भी लाभ नहीं था।

कागजों का पेट भर लाखों की जनता दिखाकर, करोड़ों का पुल पास तो करवा दिया, लेकिन अब जवाब बनता नजर नहीं आ रहा है। साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की लागत वाले पुल को बनाकर आम जनता का हिस्सा मारने का काम किया है।

इस पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की चुप्पी ही बहुत कुछ बयां करती है। इस अद्भुत कारनामे के सभी कलाकार मानो अब शांत मुद्रा की अवस्था में है, जैसे हिमालयी कंदराओं में पश्चाताप करने गए हो…

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