उत्तराखण्ड
कहीं भगत के मत्थे न पड़ जाए हल्द्वानी विधानसभा सीट…
देहरादून – आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनैतिक दल अपनी-अपनी भूमिका तैयार करने में जुट गए हैं। कांग्रेस और भाजपा के चूहे बिल्ली के खेल में अब आम आदमी पार्टी ने भी दखल देना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाद छोटे राज्यो में अपना भविष्य तलाशने में लगी है। इन दिनों पहाड़ों के गाँव-गाँव तक “आप” वॉलिन्टियर्स का विस्तार कर रही है।
वहीं, दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस पारम्परिक तरीके से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसती नज़र आ रही हैं। बात अगर भाजपा की स्थिति की करें तो प्रदेश की जनता में कोविड के चलते पार्टी के खिलाफ आक्रोश है पर फिर भी भाजपा संगठनात्मक रूप से कांग्रेस से कई ज्यादा मजबूत स्थिति में है।
प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के कई टिकट कटेंगे तो कई समीकरण बिगाड़ने का काम करेंगे। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान कैबिनेट मंत्री की कालाढूंगी विधानसभा सीट भी काफी चर्चाओं में हैं। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो उनको उम्र का हवाला देकर चुनाव लड़ने को मना किया जाएगा या फिर हल्द्वानी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने को कहा जा सकता है। क्योंकि यहां अपने राजनैतिक गुरु का मेयर जोगेन्द्र रौतेला द्वारा भी विरोध नहीं किया जाएगा।
कालाढूंगी विधानसभा में फिर भाजपा के दावेदारों में भाजपा प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट, मनोज पाठक और सुरेश तिवारी मुख्य हैं। संगठन की दृष्टि से सुरेश भट्ट को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। जबकि भगत गुट द्वारा उनके खिलाफ दावेदारी करने वालों पर षड्यंत्र रचने का काम किया तो जा रहा है, पर उसका कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं आने वाले हैं।
सुरेश भट्ट को सल्ट उपचुनाव का प्रभारी भी इसी कूटनीति के तहत बनवाया गया था, ताकि विपरीत परिस्थितियों में भट्ट की कार्यशैली को मापा जाए, लेकिन परिणाम पक्ष में आए तो विरोधी वहीं पस्त हो गए। प्रपंच तो खूब रचे जा रहें हैं, पर प्रदेश के नेता भूल गए कि सुरेश भट्ट को हाई कमान द्वारा इसी विशेष मिशन को लेकर भेजा गया है। जिससे उत्तराखंड भाजपा की राजनीति के उतार चढ़ाव पर तालमेल बनाया जा सके।