उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- नवरात्र में मां दुर्गा का रूप लेकर आई लाडली, पिता को दी नई जिंदगी… आप भी पढ़िए बेटी का त्याग और समर्पण…
Haldwani news बेटियां घर में लक्ष्मी और दुर्गा दोनों का रूप मानी जाती हैं, जब भी वक्त आता है बेटियां खुद को साबित करती हैं कि वह बेटों से कम नहीं हैं। लीवर रोग से जूझ रहे अपने पिता सेवानिवृत्त बिपिन कांडपाल की जिंदगी बचाने के लिए उनकी 21 बरस की बेटी पायल ने अपने लीवर का एक हिस्सा दान कर दिया। ट्रांसप्लांट के बाद पिता-पुत्री स्वस्थ हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। मूल रूप से बागेश्वर के काकड़ा खोली निवासी और वर्तमान में फार्म नंबर तीन, डहरिया स्थित नीलांचल कॉलोनी फेज पांच, हल्द्वानी निवासी बिपिन कांडपाल ने बीएसएफ में हवलदार के पद से वर्ष 1988 से 2009 तक देश सेवा करने के बाद वीआरएस ले लिया।
उसके बाद हल्द्वानी में उन्होंने साल 2011 में सिक्योरिटी गार्ड्स उपलब्ध कराने वाली एजेंसी खोली। बीते दो साल से उन्हें लीवर संबंधी शिकायत होने लगी। दिल्ली, ऋषिकेश एम्स से लेकर गुरुग्राम के बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ ऑपरेशन के सिवाय उनके पास कोई चारा नहीं बचा। चिकित्सकों ने उन्हें जल्द से जल्द लीवर डोनर ढूंढने की सलाह दी। पत्नी विमला को फैटी लीवर की समस्या के कारण वह लीवर डोनेट नहीं कर पाईं। बेटे शुभम का जहाँ वजन कम होने के कारण वह असमर्थ रहे तो बड़ी विवाहित बेटी प्रिया तिवारी भी किन्हीं कारणों से लीवर डोनेट नहीं कर सकीं।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय से बीएससी ऑप्टोमेट्री की पढ़ाई कर रही छोटी बेटी पायल को जब यह पता चला तो उसने कॉलेज से 2 महीने की छुट्टी ले ली और पिता को लीवर डोनेट का निर्णय लिया। हालांकि जब पायल ने लीवर डोनेट करने की पहल की तो सभी ने छोटी उम्र और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मना किया, लेकिन पायल पिता के लिए समर्पण व त्याग की भावना लिए अडिग रही। बीते 22 अगस्त को आखिरकार पिता का सफल लीवर ट्रांसप्लांट हुआ और बेटी के इस त्याग से पिता को नया जीवनदान मिला। बेटी जहां अब हल्द्वानी लौट आई है तो वहीं पिता अभी गुरुग्राम स्थित निजी अस्पताल में हैं, दोनों ही स्वस्थ हैं।