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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी- जल संरक्षण, जल गुणवत्ता पर यूओयू कराएगा डिप्लोमा, प्रमाण पत्र कार्यक्रम : कुलपति

जल गुणवत्ता आंकड़ों के आधुनिक उपयोग एवं प्रबंधन की क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय में उत्तराखण्ड विज्ञान एवं तकनीकी परिषद, देहरादून के वित्तीय सहयोग से दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। यह द्विदिवसीय कार्यशाला चार संस्थानों – उत्तराखण्ड विज्ञान एवं तकनीकी परिषद, देहरादून; डी०ए०वी० पीजी कालेज, देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य जैव प्रौद्योगिकी परिषद, हल्दी, पंतनगर; एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल हल्द्वानी के सहयोग से उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर में 23 एव 24 जनवरी को आयोजित हो रही है। कार्यशाला का विषय है – “ एडवांस्ड मल्टिवेरिएट एनालिसिस इन वाटर क्वालिटी ऐसेसमेंट एवं मैंनेजमेंट” । कार्यक्रम के आरम्भ में कार्यशाला के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर पी० डी० पंत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस.नेगी ने की।

उन्होंने कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद करते हुए जल संरक्षण, जल गुणवत्ता, पर आधारित डिप्लोमा एवं सर्टिफि आईसीसीकेट पाठ्यक्रम संचालित करने का महत्वपूर्ण विचार रखा और विशेषज्ञों से इस कार्य में सहयोग का आवाहन किया। उत्तराखण्ड विज्ञान एवं तकनीकी परिषद, देहरादून के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने जल की आवश्यकता, उसकी गुणवत्ता एवं जाँचने की आवश्यकता पर बल दिया तथा यूकोस्ट द्वारा संचालित पी.एम.यू. यूनिट के विषय में समझाया जिसका मुख्य उद्देश्य कुमाऊँ एवं गढवाल क्षेत्र में जल की जाँच एवं गुणवत्ता का जमीनी स्तर पर परिक्षण किया जाना है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट जी ने बोलते हुए कहा कि मल्टिवेरिएट एनालिसिस जल की गुणवत्ता विश्लेषण एवं प्रबंधन के लिए एक आवश्यक एवं उपयोगी तकनीक है जिसे विज्ञान के विविध क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है।
उत्तराखण्ड राज्य जैव प्रौद्योगिकी परिषद, हल्दी, पंतनगर के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार जो कि कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । उन्होंने जल की गुणवत्ता की जाँच में व्यक्ति विशेष की भूमिका की आवश्यकता पर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक दृष्टिकोण से जल के प्राकृतिक स्रोतों का पुर्नजीवन अत्यंत आवश्यक है।

कार्यशाला के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. प्रशांत सिंह, प्रोफेसर, डी पी.जी. कालेज, देहरादून ने कार्यशाला के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से स्थानीय समन्वयक के रूप में डॉ हरीश चन्द्र जोशी उपस्थित रहे एवं उन्होंने उद्घाटन सत्र के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। मंच सचालन डॉ नेहा तिवारी ने किया। इस दौरान डॉ बीना फुलारा, डॉ कृष्ण कुमार टमटा, भावना, सुबोध, धनंजय चमोला, रोहिंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर प्रशांत सिंह, डी पी.जी. कालेज, देहरादून, डॉ अभिषेक गुप्ता, डीवीएस पी जी कालेज देहरादून, एवं गोविन्द वल्लभ पंत विश्व विद्यालय के इमिरीटस प्रोफेसर डॉ वीर सिंह ने व्याख्यान दिया।

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