उत्तराखण्ड
रामगढ़- हवा में सरकार, धरातल पर काम ज़ीरो, सुनिए आपदा पीड़ितों की जुबानी (वीडियो)
18 और 19 अक्टूबर को नैनीताल जनपद में हुई भारी बारिश के बाद आई तबाही से लोग पूरी तरह से बेघर हो गए हैं। अब उनके पास रहने को छत नहीं, खाने को भोजन नहीं, पीने को पानी तक नहीं है, ना ही उनको प्रशासन या सरकार से कोई उम्मीद है, नैनीताल जनपद के तल्ला रामगढ़, बोहरा कोट, झुतिया में 18-19 अक्टूबर को आई बारिश के बाद भारी तबाही हुई। जिसमें कई सारे लोग बेघर हो गए हैं, वही उनके घर में रखा सामान भी तबाही की भेंट चढ़ चुका है। पानी की बिकराल लहरों के साथ ग्रामीणों के घर कहीं दूर चले गए है।
अब ऐसे में उनके सामने संकट पैदा हो गया है, स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन से उनको कोई फौरी मदद अभी तक नहीं मिल पाई है, जिसके दावे सरकार भले बार बार कर रही है, आपदा के समय लोग अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने को मजबूर हुए, अभी वह लोग जिनके मकान पर सुरक्षित बचे हुए हैं उनके घरों में रहने को मजबूर हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन के लोग उन तक नहीं पहुंच पाएं है, ऐसे में उनके सामने बहुत मुश्किलें खड़ी हो रही हैं।
कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि आपदा के समय उनके द्वारा आपातकाल के तमाम नम्बरों पर फोन किया गया लेकिन किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली, सिर्फ एसएसपी नैनीताल द्वारा उनकी सुध ली गई, हकीकत और धरातल पर सरकार और प्रशासन के काम कुछ भी नहीं दिख रहे हैं। सीएम साहब खुद प्रभावित क्षेत्र में आकर हवाई दौरे करके निकल गए, लेकिन उन्होंने प्रभावित लोगों से बातचीत तो दूर मुलाकात करना जरूरी नहीं समझा, लोगों का कहना है कि हालात अच्छे नहीं थे, स्थानीय लोगों ने आंखों देखी कहानी बताते हुए कहा कि आपदा का विकराल तांडव और बारिश का बुरा मंजर उनके द्वारा देखा गया, लेकिन राज्य के सीएम सिर्फ हवा हवाई यात्रा करके निकल गए।
न ही प्रशासन का कोई अधिकारी या कोई सरकार का प्रतिनिधि द्वारा कोई भी सुध नही ली गई, वही इस आपदा में अपनों को खोने वालों का भी दर्द बहुत कुछ बयां करता है। जूतियां के नवीन चंद्र ने इस आपदा में अपने भाई और माता-पिता को खो दिया, वह अपने माता-पिता की अंत्येष्टि में शामिल हुआ, लेकिन उसको अभी भी अपने खोए हुए भाई की तलाश है, जो कि अभी तक लापता है।
आपदा प्रभावितों की मदद को लेकर सरकार लाख दावे जरूर कर रही है, लेकिन उसके सारे दावे पीड़ितों की बातों से हवा-हवाई नजर आ रहे हैं, केंद्रीय गृह मंत्री से लेकर भारत सरकार के साथ राज्य की प्रशासनिक अमला का सम्पर्क पूरे आपदा प्रभावित क्षेत्र में भले ही टूटा हो लेकिन प्रभावितों तक मदद अभी तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में आपदा प्रभावितों के जख्मों को सरकार कैसे भरेगी यह बड़ा सवाल है। क्या सरकार द्वारा हवाई सर्वेक्षण से ही प्रभावितों के दर्द को समझा जा सकेगा या धरातल पर सही दिशा में सरकार का करेगी।