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उत्तराखण्ड

भाजपा में घमासान जारी, क्यों बिखरने लगे सत्ताधारी, अब संगठन में जानिए क्या चल रही कूटनीति।

ईमानदारी का चोला पहनने वाली भाजपा को उनके ही पदाधिकारी आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले के जिलामहामंत्री पर उन्ही के मंडल अध्यक्ष ने गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी ज्यादा दखल अंदाजी भ्रष्टाचार की तरफ संकेत करती है।

जिला महामंत्री पार्टी में एकलोचलो की नीति ज्यादा दिन तक नही चल सकती है, इस मामले में कही न कही जिलाध्यक्ष की बिना सहमति के कोई भी कार्य नहीं हो सकते है, यानी साफ है कि जिलाध्यक्ष के इशारों पर जिले में किस अधिकारी को कहा मलाईदार पोस्टिंग देनी है और उसके एवज में क्या और कहा ओवलाइज करना है।

संघ के करीबी इस जिलामहामंत्री का कोई विरोध भी जल्दी नहीं करता है। जब पानी सर से ऊपर बढ़ने लगा तो, हल्द्वानी उत्तरी मण्डल के अध्यक्ष ने इस्तीफा देकर खलबली मचा डाली, उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिलामहामंत्री पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा कार्यकर्ता का अपमान करने का काम किया गया है। जबकि यह इस्तीफा और प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाने और उस जिलामहामंत्री के खिलाफ माहौल बनवाने का खेल राजधानी देहरादून कार्यालय से संचालित हो रहा हो, मण्डल अध्यक्ष एक मोहरे के रूप में कार्य कर रहें हो।

हालांकि मोहरे ने प्रदेश में संगठन के अहम पद पर बैठे पदाधिकारी की भी भद पिटवाने का काम किया है। फ़ोटो और मीडिया में अपना माहौल बनाने वाले मण्डल अध्यक्ष को मोहरा बनवा कर एक मुद्दा तैयार करवा कर इस्तीफा दिलवाया गया, जब इस प्रकरण के बाद पार्टी में उसका कोई असर नहीं दिखने लगा तो फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माहौल को और गर्म करवाया गया है।

ताकि देहरादून कार्यालय में बैठा उस पदाधिकारी के हित सफल हो सकें। अपना माहौल बनाने के लिए एक मामूली से पद मिलने पर अपनी बानर सेना से हल्द्वानी होर्डिंगों से पटवा दिया गया था। जातीय समीकरण से मौजूदा मेयर को नुकसान पहुंचाना इस गैंग का प्रमुख उद्दयेश्य रहा है। इसी कड़ी में पिछले दिनों निष्काशित मण्डल महामंत्री का भी ऑडियो वायरल हो गया था। जातिवाद को बढ़ावा देने के मकसद से काम करने वाला उत्तरी मण्डल के पदाधिकारी ने हद तो तब कर दी जब उनसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया तो उन महाशय द्वारा अपनी टोपी खोल सिखा दिखाकर प्रमाणित करने की जरूरत पढ़ने लगी है।

क्यों न हो क्योंकि कुछ समय तक इन सब का आका बनने का टेण्डर किसी इवेंट प्लानर के पास था। जिसने इन्ही की कमजोरी पकड़ कर इन्ही का अध्यक्ष बन बैठा, पंजाबी मूल का व्यक्ति भगवान परशुराम जी को अपना वंशज बताने लगा, पहाड़ के मूलनिवासियों को उसके द्वारा अपने हित के लिए प्रयोग में लिया गया। जब हकीकत से पर्दा उठने लगा तो धीरे धीरे सब दूसरी दिशाओं में जाने लगे।

असल बात चल रहीं थी, जिलामहामंत्री और मण्डल अध्यक्ष के बीच का भंडाफोड़, अभी तो पन्ने पलटे है, किताब पूरी बाकी है, जिसमे पांच साल का लेखा जोखा संजो कर रखा गया है। जल्द टॉप की खबर जिले के अहम पदाधिकारियों और मण्डल के पदाधिकारियों का नकाब उतारने और जनता के सामने सभी काले चिट्ठे रखने जा रहा है।

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