उत्तराखण्ड
तीरथ को बदनाम करने की बड़ी साजिश, जयचन्दों पर गिरेगी गाज…
तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही अचानक विवादित बयानों का सामने आना और उन्हें तेजी से वायरल करने के पीछे एक बड़ी साजिश की ओर ईशारा करता है। साजिश के तहत मुख्यमंत्री के पूरे भाषण को रिकॉर्डिंग मोड पर रखा जाता है ताकि कहीं न कहीं कुछ गलती हो और उसे समय से पहले एडिट कर सोशल मीडिया पर फैलाया जाए ताकि मुख्यमंत्री को आम जनता के निशाने पर लाया जा सके।
फिलहाल इस पूरे मामलों को लेकर आरएसएस द्वारा खुफिया जानकारियां जुटाई जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो इस पूरे एजेंडे के पीछे बहुत बड़ी साजिश है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मीडिया सलाहकार के ईशारों पर दर्जनों न्यूज़ पोर्टल संचालको, जिन्होंने पिछले चार सालों में अपनी कलम गिरवी रख दी थी, पूरी टीम बनाकर संचालन करने की खबरें हैं। साफ तौर पर एजेंडा यही सामने आया कि वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ रावत को बदनामी के दलदल में धकेलने का कार्य किया जा रहा है।
पूर्व मीडिया सलाहकार महोदय द्वारा प्रदेश के हर शहर में अपने चाटुकार और दलाल किस्म के लोग छोड़े गए थे, जिनका काम पूरे दिन सोशल मीडिया पर महिमा मण्डन और सूचना विभाग से मिलने वाले समाचार पत्रों के विज्ञापन दिलवाने में खुली दलाली पर फोकस किया जाता था, जिसका कमीशन सीधे तौर पर महोदय हड़पा करते थे। साथ ही उच्च कोटि के चाटुकार कलमकारों को इनाम के तौर पर स्पेशल पैकेज भी दिलवाया गया, जो काफी समय तक चर्चा का विषय बना रहा, जिसको लेकर कुछ पत्रकार माननीय न्यायालय की शरण तक गए।
सरल और सौम्य स्वभाव के मुख्यमंत्री तीरथ को उनके सलाहकारों ने ऐसे लोगो पर कार्रवाई करने की सलाह दी तो वह बोले… कोई नहीं छोड़ो यह सब छोटी बातें हैं, अगर इसी जगह पर पूर्व मुख्यमंत्री महाशय होते तो पता नहीं कितने कलमकार जेल जा चुके होते, प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती, उन महाशय ने सच लिखने वाले पत्रकारों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने का काम किया।
पूर्व मीडिया सलाहकार महोदय से व्यास तक का सफर करोड़ों के गबन से होकर गुजरता है, यह हम नहीं कह रहे… यह सब सोशल मीडिया पर तैरते कागज बोल रहे हैं, फिलहाल इन दिनों अपनी गृह विधानसभा से चुनाव का सपना और सोशल मीडिया पर ढकोसलों का बाज़ार तैयार करने में जुटे हैं। राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के सभी जिलों में अपने गुर्गों द्वारा जिन्हें पावर में होने पर लाखों का फायदा करवाया, उनसे एजेंडे के तहत काम करवाने का कार्य, एक सोची समझी साज़िश है। विश्वनीय सूत्रों की मानें तो पूर्व औद्योगिक सलाहकार उर्फ समधी साहब तो अपना न्यूज़ चैनल खोल करोड़ों डकारने के बाद पार्टी फंड में जमा होने वाले करोड़ों रुपये दबा कर बैठे गए।