उत्तराखण्ड
पढ़िए आख़िर क्यों कहा जाता था इन्दिरा ह्रदयेश को आयरन लेडी, जानिए उनका राजनीतिक व सामाजिक संघर्ष…
इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक सफर की शुरूआत 1974 में की थी और वह उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह 1986, 1992 और 1998 में परिषद के लिए चुनी गई।
कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश का आज दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड कांग्रेस की बड़ी नेता था और राज्य में विपक्ष की नेता भी थी। राज्य में कांग्रेस की सरकारों के दौरान वह सबसे ताकतवर मंत्री मानी जाती थी। वहीं एनडी तिवारी सरकार के दौरान चाहे उत्तर प्रदेश हो या फिर उत्तराखंड। इंदिरा हृदयेश को सुपर सीएम का दर्जा मिला हुआ था।
इंदिरा हृदयेश का 7 अप्रैल 1941 को को हुआ था और आज 80 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। आज सुबह उत्तराखंड सदन में उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि आज सुबह विपक्ष के नेता की तबीयत खराब हुई तो उन्हें संभाला नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई। इंदिरा हृदयेश कांग्रेस की उन नेताओं में थी, जिनकी पहुंच कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष थी और वह राज्य में हमेशा ही समानान्तर सत्ता चलाती रही। विपक्षी नेता भी इंदिरा हृदयेश को मानते थे आयरन लेडी, एनडी सरकार में था ‘सुपर सीएम’ का जलवा।
इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक सफर की शुरूआत 1974 में की थी और वह उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह 1986, 1992 और 1998 में परिषद के लिए चुनी गई।
कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश का आज दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड कांग्रेस की बड़ी नेता था और राज्य में विपक्ष की नेता भी थी। राज्य में कांग्रेस की सरकारों के दौरान वह सबसे ताकतवर मंत्री मानी जाती थी। वहीं एनडी तिवारी सरकार के दौरान चाहे उत्तर प्रदेश हो या फिर उत्तराखंड। इंदिरा हृदयेश को सुपर सीएम का दर्जा मिला हुआ था।
इंदिरा हृदयेश का 7 अप्रैल 1941 को को हुआ था और आज 80 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। आज सुबह उत्तराखंड सदन में उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि आज सुबह विपक्ष के नेता की तबीयत खराब हुई तो उन्हें संभाला नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई। इंदिरा हृदयेश कांग्रेस की उन नेताओं में थी, जिनकी पहुंच कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष थी और वह राज्य में हमेशा ही समानान्तर सत्ता चलाती रही।
इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक सफर की शुरूआत 1974 में की थी और वह उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह 1986, 1992 और 1998 में परिषद के लिए चुनी गई। उनकी गिनती राज्य के तेज तर्रार नेताओं में होती थी और साल 2000 में उत्तराखंड के बन जाने के बाद वह वह अंतरिम उत्तराखंड विधान सभा में विपक्ष की नेता भी बनीं। इसके बाद राज्य में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार में वह सबसे ताकतवर मंत्री बनी। उत्तराखंड में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में वह हल्द्वानी विधानसभा से चुनी गई और राज्य की एनडी तिवारी सरकार में संसदीय कार्य, लोक निर्माण विभाग समेत कई महत्वपूर्ण विभागों की मंत्री बनी।
इंदिरा हृदयेश को एनडी तिवारी सरकार में सुपर सीएम भी कहा जाता था। वह इतनी ताकतवर मंत्री थी कि सीएम भी उनकी बात मानते थे और किसी भी बात को नहीं टालते थे। इंदिरा इतनी ताकतवर हो गई थी कि उन्हें सुपर मुख्यमंत्री का दर्जा मिल गया था।
हालांकि 2007 से 2012 के बीच इंदिरा हृदयेश विधायक नहीं थी। लेकिन राज्य में उनका दर्जा किसी बड़े नेता से कम नहीं था। वहीं 2012 में वह एक बार फिर विधानसभा में पहुंची और राज्य में विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में वित्त मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री बनी। इसके बाद वह 2017 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा हृदयेश एक बार फिर हल्द्वानी से जीतीं। कांग्रेस ने एक बार फिर उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया। जबकि राज्य में कई दावेदार थे। इंदिरा हृदयेश को उत्तराखंड की राजनीति की आयरन लेडी कहा जाता रहा है।