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उत्तराखण्ड

क्या मोदी के चेहरे पर भाजपा लड़ेगी विधानसभा चुनाव, चेहरा विहीन हुई उत्तराखण्ड भाजपा।

आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड भाजपा अब चेहरा विहीन हो गई है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से अब भाजपा विधानसभा चुनाव लड़ेगी, क्या पांच साल पहले का पीएम का प्रलोभन और डबल इंजन की बात जनता भूल गई होगी।

उत्तराखण्ड में नए मुख्यमंत्री बनने के बाद से साफ हो गया कि भाजपा के पास अब चुनावी चेहरा नही रह गया। ज़ाहिर सी बात है जब दो बार के विधायक को मुख्यमंत्री की कमान दी गई और उनसे वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार किया गया है। यह यही साबित करता है कि अब भाजपा के पास प्रदेश में नेतृत्व क्षमता वाले नेता नही रहे।

कुमाऊँ के मैदानी क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने का निर्णय इसलिए भी जोड़ा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में किसानों को साधने का प्रयास किया जा रहा है। जिस जिले से मुख्यमंत्री आते है वह किसान बाहुल्य क्षेत्र है। किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश में भाजपा के विरोध में काम कर रही है। उत्तराखण्ड में आगमी विधानसभा चुनाव में भाजपा को खासतौर पर तराई के किसानों का विरोध झेलना पड़ेगा।

त्रिवेन्द्र रावत, तीरथ रावत के बाद अब पुष्कर धामी को चार साल में मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। हाईकमान ने प्रदेश में भाजपा के हालातों को देखते हुए युवा कार्ड खेलने का भी प्रयास किया गया है, युवा मुख्यमंत्री बनाने से प्रदेश के यूथ को अपने पक्ष में करने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने पहली कैबिनेट में ही युवाओं के लिए नौकरी बम जो फोड़ा है, वह कितना असरदार होगा वह आने वाला समय ही बताएगा।

ज़ाहिर सी बात है जब दिल्ली हाईकमान का प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर प्रयोग जारी है। इस दशा में विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर भाजपा लड़ेगी यह तय करना बहुत ही मुश्किल है। जब प्रदेश भाजपा में चेहरा ही नही होगा तो मोदी के चेहरे पर ही जनता से वोट मांगने का काम किया जाएगा। साथ ही जनता को भी याद रखना होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी द्वारा किये गए वादों का क्या हुआ।

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