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उत्तराखंड- रक्षाबंधन को लेकर संशय हुआ दूर… जानिए कब बहन बांधेगी भाई की कलाई में राखी…

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उत्तराखंड- रक्षाबंधन को लेकर संशय हुआ दूर… जानिए कब बहन बांधेगी भाई की कलाई में राखी…

राखी के पावन पर्व को लेकर संशय बना हुआ है। आपको बता दें रक्षाबंधन का त्यौहार उत्तराखंड में 11 अगस्त को मनाया जा रहा है, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्या मंजू जोशी ने अपनी सोशल साइट में रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर अहम जानकारियां सांझा करते हुए बताया की रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। आप भी पढ़िए ज्योतिषाचार्या मंजू जोशी का यह लेख…
आप सभी धर्म प्रेमियों को सादर प्रणाम। रक्षाबंधन के पर्व को लेकर किसी प्रकार का संशय ना रखें हम पूर्व लेख में भी आपको अवगत करा चुके हैं रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा। क्योंकि रक्षाबंधन पर्व श्रवण नक्षत्र एवं पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। कुछ लोग आप सभी जातकों को भ्रमित करने का पूर्ण प्रयास कर रहे हैं कि रक्षाबंधन पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा तो मैं आपको पुनः एक बार अवगत कराती हूं 12 अगस्त को पूर्णिमा क्षय है, क्योंकि किसी भी पर्व को मनाने के लिए उदया तिथि पर तीन मुहूर्त का होना अति आवश्यक है, कई विद्वान आपको यह बोल कर भ्रमित करेंगे कि सूर्योदय से पहले के दो मुहूर्त भी जोड़कर गिना जाएगा परंतु आप स्वयं विचार करें उदया का अर्थ उदय होने से है।

यहां यह स्पष्ट होता है सूर्य उदय होने के बाद तीन मुहूर्त होना आवश्यक है परंतु 12 अगस्त को 1:30 मुहूर्त भी पूर्ण नहीं हो रहा है एवं प्रतिपदा तिथि को रक्षाबंधन, उपाकर्म नहीं मनाया जाता। इसके अतिरिक्त श्रवण नक्षत्र भी 12 अगस्त को प्रातः 4:08 पर ही समाप्त हो जाएगा। यहां पर विद्वान जनों को 12 अगस्त रक्षाबंधन एवं उपाकर्म मनाए जाने का तथ्य भी मिथ्या है। तथ्यों को ना जान कर कई विद्वानों द्वारा आपको भद्रा का भय दिखाकर 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने हेतु बाध्य किया जाएगा। आप सभी को श्लोको के माध्यम से आपको भद्रा की स्थिति को स्पष्ट कराने का प्रयास करूंगी।

पीयूष धारा के अनुसार
स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।
अर्थात भद्रा स्वर्ग लोक में शुभ फल देती हैं पाताल लोक में धन लाभ होता है एवं पृथ्वी लोक पर विनाशकारी कहीं गई है।
मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है “ भद्रा सदात्याज्या स्वर्गपातालगा शुभा”।
अतः यह स्पष्ट है कि मेष, वृष,मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है।।
आप कुछ इस प्रकार भी समझ सकते व्यवहारतः जब कोई वस्तु हमारे पैरों के नीचे हो तो उसका प्रभाव या ऊर्जा निष्क्रिय हो जाता है इसी प्रकार भद्रा भी (हमारे पैरों के नीचे) पाताल लोक में होने से इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं पड़ेगा।

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इसके अतिरिक्त रक्षाबंधन पर्व पर गुरुवार पड़ रहा है गुरुवार को सबसे श्रेष्ठ वारों में माना गया है क्योंकि गुरु की दिशा ईशान और ईशान में देवताओं का वास होता है। तथा गुरुवार की भद्रा को पुण्यवती कहा गया है
अतः भद्रा से भयभीत ना होकर राहुकाल एवं भद्रा के मुख का समय छोड़कर पूर्णिमा तिथि एवं श्रवण नक्षत्र में रक्षाबंधन एवं उपाकर्म किया जा सकता है।
राखी का शुभ मुहूर्त
11 अगस्त 2022 श्रवण नक्षत्र प्रारंभ प्रातः 6: 53 मिनट से 12 अगस्त 2022 प्रातः 4:08 तक। पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 11 अगस्त 2022 प्रातः 10:39 से 12 अगस्त प्रातः 7:06 तक।
रक्षाबंधन हेतु सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा

अभिजीत मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त को समझाने का प्रयास करती हूं।
अभिजीत का सामान्य अर्थ होता है विजय एवं मुहूर्त का अर्थ समय से है। असंख्य दोषों को नष्ट करने का श्रेष्ठ समय। जिसकी स्वामी स्वयं भगवान विष्णु है।
अभिजीत मुहूर्त रहेगा
प्रातः 11:59 से दोपहर 12:52 तक।

राहुकाल
राहु काल में रक्षाबंधन, उपाकर्म संस्कार ना करें। राहुकाल का समय रहेगा दोपहर 2:05 मिनट से 3 मिनट से 3:45 तक।
भद्रा का मुख काल प्रारंभ होगा सायं 5:51 से मुख काल में रक्षाबंधन उपाकर्म निषेध।
इसके अतिरिक्त जिन जातकों को भद्रा का भय हो वह रात्रि 8:53 से रात्रि 11:00 बजे तक रक्षाबंधन मना सकते हैं। रात्रि 8:52 पर भद्रा समाप्त हो जाएंगे।
यहां पर एक प्रश्न और आएगा कि रात्रि में राखी नहीं बांधी जाती तो इसका उत्तर में पूर्व में ही देते चलूं निशीथ काल को छोड़कर रक्षाबंधन किया जा सकता है

रक्षा मंत्र व दिशा
रक्षा धागा बांधते समय ध्यान रखें भाई को पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। बहन का मुंख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगाकर दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधे व इस मंत्र का पाठ करें –
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।

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