उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग की नाकामी से परेशान ग्रामीण, बरसात में ग्रामीणों ने यहां किया प्रदर्शन…
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा चंपावत के रीठा साहिब, भीमताल विधानसभा के हैड़ाखान, ओखलकांडा खन्स्यु, पटलोट समेत 200 गांव को जोड़ने वाला हैड़ाखान मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त हुए कई महीने हो गए हैं, जिसे ठीक करने के लिए प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग के दावे हवा हवाई साबित होते दिख रहे हैं, ऐसे में क्षेत्र के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने आज पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य अभियंता के कार्यालय में जमकर प्रदर्शन किया। साथ ही मुख्य अभियंता के साथ तीखी नोकझोंक भी की, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हरीश पनेरु और दीपक मेवाड़ी समेत तमाम जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन पीडब्ल्यूडी और क्षेत्र के विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा कि हैड़ाखान मोटर मार्ग जो कि मुख्यमंत्री की चंपावत विधानसभा समेत भीमताल विधानसभा के 200 गांव को जोड़ता है।
जिसे क्षतिग्रस्त हुए कई महीने हो गए हैं लेकिन पीडब्ल्यूडी, जिला प्रशासन, क्षेत्र के विधायक सांसद जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। साथ ही ग्रामीणों ने हिटलर शाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोग जान जोखिम में डालकर जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी सिर्फ बातों को घुमाने में लगे हुए हैं। वहीं पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता महिपाल रावत का कहना है की हैड़ाखान मोटर मार्ग में आ रहे मलवे को हटाने के लिए जेसीबी और पोकलैंड मशीन लगाई जा रही है। मलवा गिरने की आधे घंटे में रास्ते को साफ किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। यातायात सुचारू रूप से चले लेकिन लैंडस्लाइड होने के चलते बार-बार रास्ता बंद हो रहा है। उन्होंने कहा कि सड़क क्षतिग्रस्त होने के समय से ही प्रांतीय खंड नैनीताल काम कर रहा है। फॉरेस्ट की अनुमति ना मिलने के चलते दूसरी तरफ से सड़क निर्माण नहीं हो सका है। फिलहाल पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य अभियंता के पास यह स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका कि कब तक अनुमति मिलेगी ऐसे में, हैड़ाखान मोटर मार्ग से जाने और आने वाले लोगों को आगे भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लगातार यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं जो भी छतिग्रस्त सड़के हैं उनको जल्द से जल्द ठीक किया जाए। हैड़ाखान मोटर मार्ग हुए काफी महीना हो गए लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है, जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग से एक दूसरे को पत्राचार कर उलझा रहे हैं, जिसका खामियाजा क्षेत्र के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है।