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उत्तराखण्ड

पहली लहर में प्रयोग में नहीं आये वेंटिलेटर और दूसरी लहर में व्यवस्था हुई धड़ाम…

स्वास्थ्य विभाग और सरकारी खोखले तंत्र की पोल तब खुली जब पीएम केयर्स फंड से मिले पोर्टेबल वेंटिलेटर कुछ ही दिनों में खराब हो गए। सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी को पिछले वर्ष सितंबर में पीएम केयर्स फंड से एसटीएच को 45 पोर्टेबल वेंटिलेटर मिले थे। कुछ दिनों बाद 17 वेंटिलेटर और दिए गए। ये वेंटीलेटर कुछ समय बाद इंस्टॉल किए गए। पोर्टेबल वेंटिलेटर अलग-अलग वार्डों में लगाए गए, जबकि कुछ के प्रयोग की जरूरत ही नहीं पड़ी। सितंबर 2020 के बाद कोरोना का ग्राफ गिरने लगा था। तो इस दौरान वैंटीलेटर प्रयोग में नहीं लाए गए।

वहीं, 2021 में कोरोना की दूसरी लहर से हड़कंप मच गया और केस दिन प्रतिदिन बढ़ते चले गए लगातार बढ़ रहे कोविड के मामलों को देखते हुए वेंटिलेटर समेत अन्य तैयारियां तेज की गईं। कोविड के केस कम होने के बाद पिछले सप्ताह पीएम केयर फंड से आए 28 पोर्टेबल वेंटिलेटरों की मरम्मत कराई गई। 17 की मरम्मत होना अभी भी बाकि है। 17 वेंटिलेटर दूसरी कंपनी के हैं, इसलिए टेक्नीशियन और इंजीनियर को सूचना गई है। वहीं, बागेश्वर जिले को भी पीएम केयर फंड से मिले दो वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन में दिक्कत आ रही है। सीएमओ डॉ. बीडी जोशी ने टेक्नीनिशयन और इंजीनियर को बुलाया है।

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