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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड में अब कोविड पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं ये फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट…

इन दिनों लगातार समाचारों के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि राज्य के बॉर्डर पर फर्जी कोविड आरटीपीसीआर रिपोर्ट का गोरखधंधा चल रहा है।

जिसमे आप अपना आधार कार्ड दिखाओ और अपनी नकली कोविड आरटीपीसीआर रिपोर्ट बनवाकर, उत्तराखण्ड की सीमा को आसानी से पार कर सकतें हैं। स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय प्रशासन भी इस मामले में गंभीरता से काम नही करते दिखा, क्योंकि अगर फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट बन रही है तो विभाग को निजी व सरकारी लैब की सम्बंधित ऑनलाइन वेबसाइट पर जांच करनी चाहिए, ताकि कोविड पॉजिटिव राज्य की सीमा में प्रवेश न कर सकें…

स्वास्थ्य विभाग को अपने आकड़ो की बाज़ीगरी से फुर्सत हो तो राज्य की सीमा पर सख्त मिजाज के साथ काम करे। पिछले दिनों उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों में अचानक कोविड का ग्राफ बढ़ने से हड़कंप मचा, वह यही बॉर्डर पर चैकिंग में की गई लापरवाही है। टैक्सी चालक द्वारा सवारियों से आधार कार्ड मांगा जाता था वह 10मिनट में आपके हाथ में आपकी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट थमाकर बॉर्डर पार करवा रहा था, जिसमें सम्बंधित विभागों के साथ साथ बॉर्डर में चैकिंग ड्यूटी कर रहें कर्मचारियों पर भी सवाल उठने लाज़मी है।

पर्वतीय जिलों में गर्मियों के मौसम में शादियां अधिक मात्रा में होती हैं, जिसमें दिल्ली समेत अन्य राज्यों से प्रवासी अपने गाँवों की तरफ़ ज्यादा रुख करते हैं, आरटीपीसीआर रिपोर्ट की फर्जीवाड़े के चलते पहाड़ के सुदूरवर्ती गाँवो तक कोविड कि धमक पहुच गई, जो बाद में सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थी… कुछ समय सख्ती जरूर हुई लेकिन फिर से पहाड़ो की तरफ पर्यटकों की अचानक बढ़ रही भीड़ कोविड टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। राज्य के पर्यटन को भारी नुकसान के चलते सरकार द्वारा राहत तो दी गई है पर अब भी सावधानी बेहद जरूरी है।

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