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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड- निजी हित के लिए उद्यान विभाग के खिलाफ भ्रामक प्रचार-प्रसार पर जुटे लोगों के सभी आरोप निराधार, विभाग ने सबूतों के साथ जारी की प्रेस रिलीज

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखंड निदेशालय की ओर से विभागीय गतिविधियों पर किए जा रहे गलत प्रचार-प्रसार को लेकर अपनी बात रखी गई है। निदेशालय की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर बताया गया है कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए उद्यान विभाग के खिलाफ गलत प्रचार प्रसार कर रहे हैं यहां तक कि आमरण अनशन भी पर भी बैठे हैं। उनका कहना है कि विभाग की ओर से किसानों के हित में ही सारे क्रियाकलाप पूर्ण पारदर्शिता के साथ किए गए हैं। इसलिए विभाग के खिलाफ गलत प्रचार पर जुटे लोगों की बातों में आकर किसी तरीके का भ्रम ना पालें।

कहा कि कुछ लोगों द्वारा एजेंडा बनाकर सोशल मीडिया और समाचार पत्र व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सहारा लेकर विभाग की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि जिन क्रियाकलाप और गतिविधियों को लेकर संबंधित व्यक्ति विभाग पर पर आरोप लगा रहे हैं। उन सभी गतिविधियों की पारदर्शिता का ब्यौरा इस तरह से है-

1) अर्न्तराष्ट्रीय महोत्सव आयोजन के सम्बन्ध में:- कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री. उत्तराखण्ड सरकार द्वारा दिये गये निर्देशानुसार कोविड-19 संक्रमण के दौरान कृषकों/ उद्यानपतियों को हुई आर्थिक हानि के कारण कृषकों एवं वापस आये प्रवासी बेरोजगार नवयुवकों में भय, निराशा, हताशा एवं व्याप्त कुंठा को दूर करने के लिए वर्ष 202 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर फल एवं सब्जी वर्ष के रूप में घोषित करने साथ-साथ भारत सरकार द्वारा “आजादी का अमृत महोत्सव” के अन्तर्गत उत्सवों की श्रृंखल.. प्रारम्भ करने हेतु दिये गये निर्देशों के अनुपालन में विभाग द्वारा संचालित विभिन्न केन्द्रपोषित योजनाओं के मिशन मैनेजमेन्ट / प्रशासनिक व्यय की धनराशि का सदुपयोग करते हुए भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड शासन द्वारा अनुमन्य प्राविधानानुसार अन्तराष्ट्रीय सेब / मशरूम / सब्जी मसाला एवं शहद महोत्सवों का आयोजन किया गया। उक्त महोत्सव एकल कार्यक्रम न होकर कार्यक्रमों का एक समूह था, जिससे एक ही मंच पर औद्यानिकी के समग्र विकास हेतु किसानों के द्वारा आमने-सामने उत्पादन की तकनीकों पर विचार-विमर्श कर कृषकों की जिज्ञासाओं का समाधान एवं बाजार मांग आधारित प्रजातियों की जानकारी तथा विपणन व निर्यात आदि की जानकारी प्राप्त कर औद्यानिकी को व्यवसाय के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित हुए । उक्त महोत्सवों के आयोजन के दौरान Japan International Cooperation Agency ( JICA) वित्त पोषित “उत्तराखण्ड एकीकृत औद्यानिक विकास परियोजना के फॉरमूलेशन की कार्यवाही गतिमान थी तथा उक्त महोत्सवों में अन्तराष्ट्रीय / राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड में औद्यानिकी के विकास की सम्भावनाएँ परिलक्षित होने के फलस्वरूप JICA से अनुरोध किये जाने पर परियोजना लागत रू० 251.71 करोड़ से बढ़ाकर रू0 526.00 करोड़ कर दी गयी। इसके अतिरिक्त अर्न्तराष्ट्रीय सेब महोत्सव में उत्तराखण्ड में सेब उत्पादन की अपार सम्भावनायें परिलक्षित होने के फलस्वरूप उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सेब महोत्सव के दौरान ही राज्य सैक्टर के अन्तर्गत संचालित मिशन एप्पल योजना के बजट को दोगुना किये जाने की घोषणा की गयी, जिसके क्रम में प्रोत्साहित कृषकों द्वारा मात्र जनपद उत्तरकाशी से ही 200 से अधिक आवेदन किये गये। साथ ही उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मशरूम उत्पादन एवं मौनपालन को बढ़ावा देने हेतु अतिरिक्त राजसहायता से लाभान्वित करने का प्रयास किया जा रहा है।

2) अदरक व हल्दी बीज आपूर्ति के सम्बन्ध में:- कृषकों को उच्च गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने के लिए पूर्ण पारदर्शिता बरतते हुए भारत सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी (एन०एस०सी०) से बीज कय करने के निर्देश के साथ किसानों को प्रदेश में पंजीकृत फर्मों से बीज कय करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए निर्धारित राजसहायता किसानों के बैंक खाते में डी०बी०टी० करने के निर्देश समस्त जनपदीय अधिकारियों को दिये गये ताकि किसान अपनी क्षमता एवं सुविधानुसार बीजों का क्रय कर संतुष्ट हो सकें एवं उच्चगुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त कर आय मैं वृद्धि कर अपने जीवन स्तर में सुधार ला सके।

3) कीवी की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री आपूर्ति के सम्बन्ध में:-

दिनांक 24-26 सितम्बर 2021 को आयोजित अर्न्तराष्ट्रीय सेब महोत्सव में परिचर्चा में किसानों द्वारा उच्च गुणवत्तायुक्त कीवी पौधों की सुगमतापूर्वक उपलब्धता हेतु कीवी पौध की मांग की गई, जिस कम में प्रदेश के पौधशाला स्वामियों द्वारा यह बताया गया कि प्रदेश में कीवी पौध की दर अत्यधिक कम है इसलिए कीवी की पौध तैयार करना घाटे का सौदा है इसलिए उनके द्वारा पौधों की दर बढ़ाने की मांग की गई। साथ ही ऐसा भी देखा गया है कि जिन पौधशाला स्वामियों के पास कीवी का पौधा उपलब्ध होता है, तो वे विभाग को निर्धारित विभागीय दर पर पौधा उपलब्ध कराने से बचते थे। उत्तराखण्ड राज्य में कीवी की बागवानी को बढ़ावा देकर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन कर कास्तकारों की आय में वृद्धि की जा सकती है। इसकी खेती को बढ़ावा देकर जहाँ एक ओर जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है वहीं इनके द्वारा बनाये गये मचानों के नीचे छाया में उगने वाली फसलों जैसे अदरक व हल्दी की खेती करके समान क्षेत्रफल से अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। परिणामस्वरूप प्रदेश में कीवी की खेती को बढ़ावा देने हेतु उच्च गुणवत्तायुक्त रोपण साम्रगी की आपूर्ति किया जाना अति आवश्यक है। विभाग द्वारा उच्च गुणवत्तायुक्त कीवी पौधों की आपूर्ति हेतु की गयी कार्यवाही से स्पष्ट है कि इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की गयी है, बल्कि उचित प्रक्रिया अपनाते हुए किसानों के हित में उन्हें उच्च गुणवत्तायुक्त कीवी पौधों की आपूर्ति उत्तराखण्ड के कृषकों की आर्थिकी को मजबूत करने का प्रयास किया

गया है, जो पूरी तरह से राज्य हित में है।

4) निदेशक, उद्यान पर हिमाचल प्रदेश में चार्जसीट के सम्बन्ध में:-

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा डा० एचएस बवेजा को चार्जसीट दिये जाने सम्बन्धी प्रकरण में स्पष्ट है कि डा० एच०एस० बवेजा द्वारा मै० हिम एग्री फैश प्रा०लि०, शिमला, हिमाचल प्रदेश को किसी भी प्रकार की राजसहायता का भुगतान नहीं किया गया है, अपितु उनके द्वारा Whistle Blower की भूमिका निभाई गयी है।

विभाग द्वारा बताया गया है कि संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति नकारात्मक मानसिकता के साथ तथ्यहीन भ्रामक सूचनाओं के आधार पर करते हुए उद्यान विभाग एवं उत्तराखण्ड सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास करने के साथ-साथ प्रदेश में औद्यानिकी के समग्र एवं कृषक हित में लिये जा रहे निर्णयों की सफलता को विफल करने का प्रयास किया जा रहा है।

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