उत्तराखण्ड
देहरादून – धामी कैबिनेट से मिली यूसीसी को मंजूरी, विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा बिल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को मंजूरी मिल गई है. आगामी विधानसभा सत्र में बिल को पेश किया जाएगा।
उत्तराखंड में धामी कैबिनेट की 24 घंटे के भीतर दूसरी बैठक आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर सम्पन्न हुई।। इस बैठक में सरकार के बहुप्रतीक्षित यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में लाने की चर्चा थी।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का काउंटडाउन शुरू हो गया। उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज यूसीसी बिल पर चर्चा को लेकर 24 घंटे में दूसरी बार कैबिनेट बैठक बुलाई। इस बैठक में धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है। धामी सरकार ने उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है। अब कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को सदन के पटल पर रखेगी। 6 फरवरी को यूसीसी विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। 7 फरवरी को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर चर्चा की जाएगी। जिसके बाद इसे धामी सरकार सदन से पारित करवाएगी।
बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार पिछले कई दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारी में है। 2 फरवरी को यूसीसी कमेटी ने धामी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा। जिसके बाद धामी सरकार ने यूसीसी का विधिक परीक्षण करवाया। इसके साथ ही सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की है।
बीते रोज हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। जिसके बाद सीएम धामी से इस बारे में सवाल किया गया। तब सीएम धामी ने इसके जवाब में कहा सरकार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा राज्य सरकार विस्तृत रूप से ड्राफ्ट का विधिक परीक्षण करवा रही है, ताकि मंत्रिमंडल से मंजूरी दिए जाने से पहले राज्य सरकार ड्राफ्ट को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हो सके।
जानिये क्या है – समान नागरिक संहिता कानून
यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) या समान नागरिक संहिता (UCC) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है। आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा।
यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस के केंद्र बना हुआ है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए प्राथमिकता का एजेंडा रहा है। भाजपा 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है। 2024 चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।