उत्तराखण्ड
आगामी विधानसभा को लेकर भाजपा का चिंतन और कांग्रेस में मंथन जारी है…
उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के करीब आते ही भाजपा में चिंतन तो कांग्रेस में मंथन का दौर जारी है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा चिंतन की मुख्य वजह यह भी बताई जा रही है, कि जो विधायक 2017 चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा द्वारा आयात किये गए थे, उन्हें किसी भी हालातों में वापस नही जाने देना है, जिसे लेकर नब्ज़ टटोलने का काम किया जा रहा है।
सभी कैबिनेट मंत्रियों व पदाधिकारियों में मुख्य रूप से पार्टी और संगठन के तालमेल बैठाने को लेकर साथ ही विधानसभा चुनाव पर विशेष फोकस रहेगा। भाजपा के पास चुनाव में चुनौतियां बहुत हैं, पहला सवाल हर आम आदमी के जहन में है कि आखिर भाजपा सही काम कर रही थी तो त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया क्यों…?
बात अगर हम कांग्रेस की करें तो कही न कही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। हरीश रावत का अब जल्द उत्तराखण्ड दौरा होने वाला है जिसमें उनके द्वारा गाँव-गाँव पहुचकर जनता से भाजपा ले कार्यकाल में हुए कार्यो पर प्रकाश डालने का काम किया जाने वाला है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये।
हरीश रावत की बात करें तो उत्तराखण्ड में उस स्तर का विज़नरी नेता नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में उत्तराखण्ड के गाँव तक सरकार द्वारा लाभ पहुचाने का काम किया गया था। पहाड़ो में सड़क का जाल बनवाना भी हरीश की देन है, वह बात अलग है कि बरसात के दिनों नई सड़को पर थोड़ा बारिश होने पर ही मलुवा सड़क पर आने लगता है, जिससे लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भाजपा का संगठन कांग्रेस से बहुत ज्यादा मजबूत है, इसी वजह से बेबुनियाद नीतियों के साथ भी भाजपा अधिकतर कांग्रेस से आगे रहती है। चिंतन व मंथन के बाद दोनो राजनीतिक दलों में यह मंत्र तैयार किया जा रहा है कि चुनाव के दौरान जनता को कैसे मूर्छित किया जा सके।
चिंतन के सहारे भाजपा की यह रणनीति तैयार की जा सकती है कि किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना होगा। वही कांग्रेस के मंथन में यह बताया जा रहा कि भाजपा के पांच सालों का जवाब उन्ही से पूछा जाना चाहिए। चिंतन-मंथन कर चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जा रही है।