Connect with us

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रदेश सरकार पर कसा तंज, बोले ‘अंधा बांटे रेवाड़ी, खुद को देता जाए’

उत्तराखण्ड

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रदेश सरकार पर कसा तंज, बोले ‘अंधा बांटे रेवाड़ी, खुद को देता जाए’

उत्तराखंड में भाजपा की सरकार में मंत्री और दायित्व धारियों में अपने परिजनों व नजदीकियों को नौकरियों पर लगाने या जो पहले किसी तरह नौकरियों में लगे हैं उन्हें अनैतिक लाभ पंहुचाने की होड़ लगी है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में शीर्ष पद पर विराजमान कुछ पदाधिकारीगण और अधिकारियों ने अपने परिजनों को हाल ही में बोर्ड की एक बैठक में निर्णय लेकर वेतन आदि में लाभ पंहुचाया है।

बाद में मंदिर समिति के कर्मचारियों द्वारा विरोध करने पर हर तरह से अवैध उस निर्णय को वापस ले लिया गया। इस निर्णय द्वारा जिन संविदा कर्मियों या कार्मिकों को फायदा पंहुचाया जा रहा था वे सभी मंदिर समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों या अधिकारियों के परिजन थे। भाजपा सरकारों में नियुक्त श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के बोर्डों में पहले भी अध्यक्षों और सदस्यों ने नौकरियों की रेवड़ियां, प्रमोशन, वेतन बृद्धि आदि अपने परिवार के लोगों, रिश्तेदारों या करीबियों को ही बांटी हैं।

कभी उत्तराखण्ड बनने के बाद मंदिर समिति को आजादी के बाद के उच्च स्तर पर पंहुचाने की बात करने वाली पार्टी और उसके मंत्रियों द्वारा मंदिर समिति में नियुक्त अधिकांश पदाधिकारी अब अपने परिजनों को संविदा की नौकरी दिलवाने या वेतन बड़ाने तक ही सीमित हो गए हैं। आजादी के बाद कांग्रेस के कार्यकाल में मंदिर समिति में वरिष्ठ नौकरशाहों जिनमें आई0सी0एस0 अधिकारी भी थे या सार्वजनिक जीवन से जुड़े बहुत ही सफल और श्रेष्ठ महानुभावों को समिति का पदाधिकारी बनाया जाता था। ये सभी लोग मंदिर से कुछ भी नहीं लेते थे बल्कि अपने संबधों के द्वारा मंदिर की आय और प्रतिष्ठा में वृृद्धि करते थे।

भाजपा सरकारों में इन परम्पराओं का अवमूल्यन हुआ है और आज समिति के पदाधिकारी और अधिकारी अपने परिजनों को संविदा की नौकरी दिलवाना या वेतन बड़ाना ही अपनी उपलब्धि मान रहे हैं। बिगड़ते-बिगड़ते आज स्थिति यह हो गयी है कि, अधिकांश मंदिर समिति का कार्मिक होने के लिए एकमात्र योग्यता समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों या अधिकारियों का परिजन होना या निकटस्थ होना रह गया है। जबकि मंदिर के रोजगार पर पहला हक पीढ़ियों से मंदिरों के सेवा कर रहे हक-हकूकधारी गांवों के साधारण बेरोजगारों का होना चाहिए। ये युवा परम्पराओं को जानते हैं और इन परम्पराओं की रक्षा उनके पूर्वज करते आए हैं अतः वे मर्यादाऐं भी जानते हैं। एक ओर जहां पदाधिकारी और सदस्य अपने परिजनों को अनैतिक लाभ देने के कोशिस कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर गरीबों के बच्चे सालों बेहद कम वेतन में काम कर रहे हैं। उनका न तो वेतन बड़ाया जा रहा है न ही उन्हें स्थाई किया जा रहा है।

टॉप की ख़बर 👉  नैनीताल के इस केंद्रीय विद्यालय के 82 छात्र हुए कोविड पॉजिटिव, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप...

प्राकृृतिक न्याय शाश्त्र का सामान्य सिद्धान्त – ‘‘ कन्फिल्कट आफ इंर्टस्ट’’, भारत के संविधान में वर्णित विभिन्न प्रावधानों के अनुसार – लाभ देने वाला और लेने वाला एक ही नहीं हो सकता है। इसलिए जिन विभागों और कार्यालयों में परिजन नौकरी कर रहे हो वहां परम्परा और नियमों के अनुसार उनको लाभ पंहुचाने वाले पदों पर राजनीतिक या प्रशासनिक नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए। लेकिन मंदिर में ऐसे विरले पदाधिकारी या सदस्य होंगे जिनके परिजन वहां नौकरी न कर रहे हों। ऐसे में प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों से लैस सर्वशक्तिमान मंदिर समिति से कैसे स्वतंत्र निर्णयों की आशा की जा सकती है। उत्तरांचल कर्मचारी सेवा नियमावली 2002 का नियम 17 भी किसी भी पदाधिकारी या अधिकारी द्वारा परिजनों को लाभ देने संबधी किसी भी निर्णय को लेने पर स्पष्ट रोक लगाता है।

यदि माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड में सुचिता की बात कर रहे हैं और उसे उन्हें व्यवहारिक रुप में धरातल पर भी उतारना चाहिए। इसलिए उन्हें संतिति के उन सभी पदाधिकारियों, सदस्यों और अधिकारियों जिनके निकट संबधी मंदिर समिति में नौकरी कर रहे हैं उन्हें उनके पदों से हटाना चाहिए। क्योंकि तथ्य सिद्व करते हैं कि , भाजपा सरकार में मंदिर समिति का अध्यक्ष या सदस्य बनना अपने रिश्तेदारों को नौकरी पर लगवाने की गारंटी बन गया है। मंदिर समिति के संस्कृृत महाविद्यालयों में पहले ऐसे उद््भट विद्वान आचार्य थे जिनकी गणना देश में संस्कृृत, ज्योतिष और वेद के सर्वश्रेष्ठ ज्ञाताओं में होती थी परंतु अब समिति के संस्कृृत महाविद्यालयों में जिन पदों के लिए पी एच डी तक कि योग्यता चाहिए है पर समिति के सदस्यों के बेहद खराब अकादमिक रिकॉर्ड वाले केवल एम ए पास रिश्तेदार लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कैसे संस्कृत की सेवा होगी ?

धर्म के नाम पर पल रही भाजपा सरकार बताए कि इन सिफारिशी कार्मिकों से कैसे सनातन धर्म व संस्कृति का भला होगा ? यदि सरकार और समिति ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी जल्दी श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार को सामने लाएगी और इस पर रोक लगाने के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन करेगी।

टॉप की ख़बर उत्तराखंड तथा देश-विदेश की टॉप ख़बरों व समाचारों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने विचार या ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें। धन्यवाद

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

संपादक –

नाम: हर्षपाल सिंह
पता: छड़ायल नयाबाद, कुसुमखेड़ा, हल्द्वानी (नैनीताल)
दूरभाष: +91 96904 73030
ईमेल: [email protected]

To Top