आध्यात्मिक
तो इस वजह से चार धाम को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भेजा हलफनामा, अब हाई कोर्ट में भी करेगी अपील..
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा बन्द पड़े रहने से भाजपा सरकार की मुश्किलें हर दिन बढ़ती जा रही हैं। वहीं बीते दिनों जब सरकार ने हाई कोर्ट से चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एएलसी विचाराधीन होने का हवाला देकर विचार करने से इन्कार कर दिया। इसके बादअब सरकार ने हलफनामा तैयार कर सुप्रीम कोर्ट से एएलसी वापसी की कवायद शुरू कर दी है। चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने जा रही है। इसके लिए हलफनामा तैयार कर सुप्रीम कोर्ट भेजा है। एसएलपी के विधिवत वापस होने के बाद ही सरकार हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक हटाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल करेगी।
बीते मंगलवार को महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था। जिस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन होने का हवाला देकर विचार करने से इन्कार कर दिया। जिसके बाद महाधिवक्ता व सीएससी की देखरेख में हलफनामा तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सरकार के अधिवक्ता बंशीधर शुक्ला को भेजा गया।
सीएससी चंद्रशेखर रावत के अनुसार संस्कृति व धर्मस्व सचिव एससी सेमवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सरकार के अधिवक्ता बंशीधर शुक्ला को पत्र भेज दिया गया है। एसएलपी की विधिवत वापसी के बाद हाई कोर्ट में सरकार द्वारा यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा। माना जा रहा है कि बुधवार को एसएलपी वापसी की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
चारधाम यात्रा खोलने को लेकर सरकार पर पार्टी संगठन के साथ ही तीर्थ पुरोहितों, चारधाम यात्रा से जुड़े हजारों कारोबारियों का दबाव है। हरिद्वार से लेकर चारधाम यात्रा वाले जिलों में सरकार के खिलाफ आंदोलन भी हो रहा है। विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुटी सरकार के सामने इसका जल्द समाधान करना सियासी व आर्थिक दृष्टि से भी जरूरी है।
वहीं आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चारधाम यात्रा वाले जिलों में अधूरे स्वास्थ्य इंतजाम व अन्य कमियों के चलते रोक लगाई थी। इस आदेश को सरकार ने एसएलपी दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में अब तक एसएलपी पर सुनवाई नहीं हुई है।