उत्तराखण्ड
लालकुआं: तहसील की पटवारी पूजा रानी को मिली अग्रिम जमानत, अधिवक्ता सुनील पुंडीर ने दी जानकारी…
लालकुआं तहसील की पटवारी को अग्रिम जमानत मिल गई है। पटवारी पूजा रानी के अधिवक्ता सुनील पुंडीर, ज्योति परिहार, शुभम रौतेला और नीमा आर्या ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रार्थिनी / अभियुक्ता पूजा रानी द्वारा थाना लालकुंआ, जिला नैनीताल, में पंजीकृत प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 197/2025, अंतर्गत धारा 108 भारतीय न्याय संहिता, 2023, के मामले में अग्रिम जमानत हेतु प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्तुत किया गया।
- प्रार्थिनी/अभियुक्ता की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रार्थना पत्र इस आधार पर प्रस्तुत किया गया है कि अभियुक्ता तहसील लालकुंआ में माह दिसम्बर 2024 में नियुक्त हुई है और तब से वह अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से निर्वहन करती है। मृतक का कोई कार्य अभियुक्ता के कार्यालय में उसके पदीय कर्तव्यों के अंतर्गत लम्बित नहीं था और न ही मृतक का कोई कार्य अभियुक्ता द्वारा किया जाना था। मृतक तहसील लालकुंआ के अंतर्गत निवासरत विभिन्न लोगों के कार्यों को कराने हेतु सिफारिश लेकर आता था तथा मुलजिम वैध व अवैध कार्य करने हेतु दबाव डालता था, जिससे इन्कार करने पर मृतक द्वारा आत्महत्या करने की धमकी दी जाती थी। यदि मृतक का कोई कार्य लम्बित था और वह नहीं हो पा रहा था तो मृतक विहित अधिकारी के पास शिकायत कर सकता था। अभियुक्त तहसील लालकुंआ में पटवारी के पद पर नियुक्त है। यदि उसे गिरफ्तार किया जाता है तो उसके पदीय हैसियत पर गम्भीर विपरीत प्रभाव पडेगा। पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर अभियुक्त का उत्पीडन किया जा सकता है। मृतक द्वारा सुसाइड नोट में अभियुक्ता का नाम लिखा है, लेकिन मुलजिम द्वारा मृतक का किस प्रकार और किस कार्य के सिलसिले में नाम का उल्लेख किया गया है, स्पष्ट नहीं है। अभियुक्ता द्वारा मामले से सम्बन्धित हकिसी भी साक्षी अथवा साक्ष्य को किसी भी प्रकार से प्रभावित
है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में वर्णित तथ्यों से स्पष्ट…
आशय या कृत्य मृतक को आत्महत्या करने हेतु दुष्प्रेरित करने का नहीं था। अभियुक्ता सक्षम जमानती पेश करने को तैयार है। अभियुक्त को अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाये।
- अभियोजन की आख्या के अनुसार अब तक की विवेचना से प्रथम दृष्टया अभियुक्ता पूजा रानी द्वारा मृतक महेश चन्द्र जोशी को मानसिक रूप से परेशान करने के कारण ही मृतक द्वारा आत्महत्या किया जाना प्रकाश में आया है। मृतक के कौन-कौन से कार्य अभियुक्ता के पास लम्बित थे, यह बाबत विवेचनात्मक कार्यवाही से ही स्पष्ट होना सम्भव है। अभियुक्ता के अपराध से बचने के लिये साक्ष्यों के साथ छेडछाड न करे, जमानत का विरोध किया जाता है।
- प्रार्थिनी/अभियुक्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री सुनील पुण्डीर एवं विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) श्री देव सिंह मेहरा को सुना तथा सम्बन्धित प्रपत्रों का परिशीलन किया गया।
- प्रार्थिनी/अभियुक्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि अभियुक्ता तहसील लालकुंआ जिला नैनीताल में माह दिसम्बर 2024 में लेखपाल के पद पर नियुक्त हुई है। मृतक का कोई कार्य प्रार्थिनी के कार्यालय में उसके पदीय कर्तव्यों के अंतर्गत लम्बित नहीं था और न ही मृतक का कोई कार्य प्रार्थिनी द्वारा किया जाना था। यदि मृतक का कोई कार्य लम्बित था और वह कार्य नहीं किया जा रहा था तो मृतक उच्चाधिकारियों के पास शिकायत लेकर जा सकता था अर्थात मृतक के पास आत्महत्या करने का अंतिम उपचार नहीं था। यदि अभियुक्ता को गिरफ्तार किया जाता है तो उसके पदीय हैसियत पर गम्भीर विपरीत प्रभाव पडेगा। अभियुक्ता को अग्रिम जमानत पर छोडा जावे।
- विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी द्वारा कथन किया गया कि अभियुक्ता द्वारा मृतक को आत्महत्या करने के लिये उकसाया गया। यदि अभियुक्त को अग्रिम जमानत पर रिहा किया गया तो वह साक्ष्य से छेडछाड कर सकती है। अभियुक्ता का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जावे।
- सम्बन्धित प्रपत्रों के अवलोकन से दर्शित होता है कि दिनांक 22.09.2025 को थाना लालकुंआ, जिला नैनीताल में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 197/2025 अंतर्गत धारा 108 भारतीय न्याय संहिता, 2023 इस आशय की दर्ज की गयी कि प्रार्थी के पिता महेश चन्द्र जोशी सामाजिक कार्यकर्ता थे और लालकुंआ तहसील में गांव के व्यक्तियों की जमींन सम्बन्धित कार्यों के सम्बन्ध में जाया करते थे। प्रार्थी के पिता पिछले कुछ समय से मानसिक रूप
से परेशान थे और पूछने पर तहसील परिसर के कुछ अधिकारियों द्वारा उनका उत्पीडन किया जाना बताते थे। दिनांक 20.09.2025 को प्रार्थी के पिता ने तहसील की पार्किंग में जहरीला पदार्थ का सेवन कर लिया गया। उपचार के दौरान दिनाक 22.09.2025 को उनकी मृत्यु हो गयी। सुसाइड नोट में पटवारी पूजा रानी का नाम है।
- प्रार्थिनी / अभियुक्ता ओर से प्रार्थना पत्र के साथ एक सुसाइड नोट की प्रति दाखिल की गयी है, जिसमें उल्लिखित है कि “मैं अपने इच्छा अनुसार आत्महत्या कर रहा हूँ इसमें मेरे घरवाले या बाहर के किसी का कोई कसूर नहीं है। लालकुआ की पटवारी पूजा रानी ने मुझे काफी परेशान किया है।
- यहाँ पर सर्वप्रथम अपराध अंतर्गत धारा 108 भारतीय न्याय संहिता, 2023 का उल्लेख करना आवश्यक है, जो कि निम्नवत् हैः-
- Abetment of suicide. If any person commits suicide, whoever abets the commission of such suicide, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
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- दुष्प्रेरण (Abetment) को भारतीय न्याय संहित, 2023 की धारा
45 में परिभाषित किया गया है, जो निम्नवत् हैः-
- A person abets the doing of a thing, who-
(a) instigates any person to do that thing; or (b) engages with one or more other person or persons in any conspiracy for the doing of that thing, if an act or illegal omission takes place in pursuance of that conspiracy, and in order to the doing of that thing; or
(c) intentionally aids, by any act or illegal omission, the doing of that thing.
Explanation1.-А person who, by wilful
misrepresentation, or by wilful concealment of a material fact which he is bound to disclose, voluntarily causes or procures, or attempts to cause or procure, a thing to be done, is said to instigate the doing of that thing.
Explanation 2.-Whoever, either prior to or at the time of the commission of an act, does. anything in order to facilitate the commission of that act, and thereby facilitates the commission thereof, is said to aid the doing of that act.
- माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा RAKASH AND OTHERS
Vs. THE STATE OF MAHARASHTRA
INSC 1020 के मामले में अवधारित किया गया है किः-
- Section 306 read with Section 107 of IPC, has been interpreted, time and again, and its principles are well-established. To attract the offence of abetment to suicide, it is important to establish proof of direct or indirect acts of instigation or incitement of suicide by the accused, which must be in close proximity to the commission of suicide by the deceased. Such instigation or incitement should reveal a clear mens rea to abet the commission of suicide and should put the victim in such a position that he/she would have no other option. but to commit suicide.
- उल्लेखनीय है कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 के लागू होने से पूर्व भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 306 में एवं भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 45, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 107 में उल्लिखित थी।
- प्रश्नगत मामले में अभियुक्ता एक महिला है और उसे दिसम्बर 2024 में पटवारी के पद बतौर लोक सेवक नियुक्त होना कहा गया है तथा अभियोजन के अनुसार मृतक एक सामाजिक कार्यकर्ता था और तहसील लालकुआ में गांव के जमींन सम्बन्धी कार्य हेतु जाया करता था। मृतक कुछ समय से मानसिक रूप से परेशान था और पूछने तहसील परिसर के कुछ अधिकारियों द्वारा उसका उत्पीडन किया जाना बताते थे।
- अभियोजन के अनुसार मृतक का कौन-कौन से कार्य अभियुक्ता पूजा रानी के पास लम्बित थे, यह अग्रिम विवेचनात्मक कार्यवाही से ही स्पष्ट सम्भव होना वर्णित किया गया है।
14 प्रश्नगत मामले में मृतक तहसील लालकुंआ में गांव के व्यक्तियों के जमींन सम्बन्धित कार्य करने हेतु तहसील लालकुंआ में जाना अभिकथित है और अभियुक्ता को तहसील लालकुंआ में पटवारी के पद पर कार्यरत होना अभिकथित है। ऐसे में यदि मृतक का कोई जमींन सम्बन्धित वैध कार्य अभियुक्ता द्वारा अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में नहीं किया गया तो क्या उस सम्बन्ध में मृतक द्वारा अभियुक्ता के उच्चाधिकारियों को कोई शिकायत की गयी, इस स्तर पर स्पष्ट नहीं है।
- इसके अतिरिक्त इस स्तर पर सम्बन्धित केस डायरी के परिशीलन से यह भी दर्शित नहीं है कि अभियुक्ता द्वारा मृतक के किस विशिष्ट कार्य के सन्दर्भ में कौन-सी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की गयी, जिससे मृतक के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई अन्य विकल्प न बचा हो। उक्त सभी तथ्य विवेचना के विषय है। मामले
प्रचलित है।
- चूंकि अभियुक्ता एक महिला है और लोक सेवक के पद पर कार्यरत है। अतः मामले के तथ्यों, परिस्थितियों एवं अभियुक्त की निजी स्वतन्त्रता के अधिकार को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्ता का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निम्नलिखित शर्तों के अधीन स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रार्थिनी / अभियुक्ता पूजा रानी की ओर से थाना लालकुंआ, जिला नैनीताल, में पंजीकृत प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 197/2025, अंतर्गत धारा 108 भारतीय न्याय संहिता, 2023, के मामले में अग्रिम जमानत हेतु प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 निम्न लिखित शर्तों के अधीन स्वीकार किया जाता है:-
(i) प्रार्थिनी / अभियुक्त मुव० 25,000/- रूपये का व्यक्तिगत बन्धपत्र व इसी धनराशि के दो जमानती सम्बन्धित मजिस्ट्रेट की संतुष्टि पर दाखिल करेगी।
(ii) प्रार्थिनी/अभियुक्त विवेचक द्वारा पूछे जाने वाले परिप्रशनों का उत्तर देने के लिये और जब अपेक्षित हो, उपस्थित होगी।
(iii) प्रार्थिनी/अभियुक्ता इस मामले के तथ्यों से अवगत किसी व्यक्ति को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिये मनाने के लिये प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उसे कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वचन नहीं देगी।
(iv) प्रार्थिनी/अभियुक्ता, न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना भारत
नहीं छोडेगी।
(v) प्रार्थिनी/अभियुक्ता के पास यदि मृतक के कार्य से सम्बन्धित कोई प्रपत्र आदि मौजूद हो, को अविलम्ब सम्बन्धित विवेचक को उपलब्ध करायेगी।
तदनुसार अभियुक्त को उक्त मामले में अग्रिम जमानत पर
छोडा जाता है।
इस आदेश की एक प्रति सम्बन्धित अधिकारिता वाले न्यायालय एवं सम्बन्धित थाने के भारसाधक अधिकारी / विवेचक को प्रेषित की जाये।



