उत्तराखण्ड
नैनीताल- भाजपा जिला मीडिया प्रभारी भुवन भट्ट ने बताए यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे…
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी UCC एक बार फिर चर्चा में है, समान नागरिक संहिता पूरे देश में उत्तराखंड की पहल पर लागू होने जा रही है। सबसे पहले उत्तराखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा यह पहल की गई थी। यूनिफॉर्म सिविल कोड विशेषज्ञ समिति अंतिम रूप देकर जल्द ही सरकार को सौंपने का ऐलान किया गया है। नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता ने दिल्ली में इस संबंध में घोषणा की हैं। भाजपा के नैनीताल जिला मीडिया प्रभारी भुवन भट्ट ने बताया की मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा उठाया गया यह अहम कदम अब पूरे देश की जनता के लिए फायदेमंद साबित होगा। समान नागरिक संहिता (UCC) के मुख्य रूप से मिलने वाले फायदे कुछ इस तरह हैं।
शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं। हालांकि, देश की आज़ादी के बाद से समान नागरिक संहिता या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC) की मांग चलती रही है। इसके तहत इकलौता क़ानून होगा, जिसमें किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह नहीं की जाएगी। यहां तक कि संविधान कहता है कि राष्ट्र को अपने नागरिकों को ऐसे क़ानून मुहैया कराने के ‘प्रयास’ करने चाहिए।
लेकिन एक समान क़ानून की आलोचना देश का हिंदू बहुसंख्यक और मुस्लिम अल्पसंख्यक दोनों समाज करते रहे हैं। उत्तराखंड में सिविल कोड लागू करने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड विशेषज्ञ समिति कुछ अहम सिफारिशें की है। ऐसे में जल्द ही यूसीसी (UCC) में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर अहम फैसला आ सकता है। जिसके बाद हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म के लोगों के महिलाओं को परिवार और मां बाप की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इसके अलावा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार किया गया है।
इसके साथ एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी होगी। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार गया है, यह ऐलान एक्सपर्ट कमेटी ने किया है। अगर यूसीसी कानून बनता है तो अल्पसंख्यकों के पर्सनल लॉ पर लगाम लगेगी और सिविल मामलों में भी सभी को एक कानून मानना पड़ेगा। बता दें कि मई 2022 को उत्तराखंड समान नागरिकता संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
इस समिति ने अपने गठन के बाद से लेकर मसौदा तैयार करने तक ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त किए। यूनिफॉर्म सिविल कोड समिति इस संबंध में 13 जिलों में लोगों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है, जबकि नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी कई मुद्दों पर चर्चा की गई है।