उत्तराखण्ड
कालाढूंगी विधानसभा में निर्माणाधीन सड़को की गुणवत्ता को लेकर स्थानीय लोगों ने खोला मोर्चा, नेता प्रतिपक्ष ने कही यह बात
Haldwani news कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में जगह-जगह आजकल सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है, क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी को सड़क बनाने का जिम्मा दिया गया है, बन रही सड़को की गुणवत्ता पर स्थानीय लोग और विपक्ष के नेता अब सरकार और विभाग पर सवाल उठा रहे है। निर्माणाधीन सड़क की गुणवत्ता पर स्थानीय जनता ने क्षेत्रीय विधायक बंशीधर भगत पर भी सवाल उठा रही है, स्थानीय जनता का कहना है कि क्षेत्र में बन रही सड़को की गुणवत्ता बेहद ही खराब है, सड़के केवल खानापूर्ति के लिए बनाई जा रही है, आरोप है पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा सड़क में प्रयोग होने वाले रेता, बजरी और डामर को सही प्रकार से नही डाला जा रहा है, सड़क बनते ही उखाड़ना शुरू हो गई है।
स्थानीय लोगो ने विभाग और सड़क बनाने वाले ठेकेदारों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए खराब सड़क बनाने की बात कही। वही इस पूरे मामले में उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष, यशपाल आर्य ने भी सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर बिल्कुल भी ध्यान नही दिया जा रहा है, सड़क निर्माण के नाम पर विभागों के द्वारा सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है, सालो पुरानी सड़के जो गड्डो में तब्दील हो चुकी थी, उनको बनाया तो जा रहा है लेकिन सभी सड़के बनते ही उखड़ती जा रही है ।
अधिकारियों का गुणवत्ता पर न तो कोई ध्यान है और न कि खराब सड़के बनाने का कोई डर है। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस चुप नही बैठेगी, और इस मुद्दे को आने वाले विधानसभा सत्र में पुरजोर तरीके से उठने का कार्य करेगी। वही क्षेत्र में बन रही बेकार गुणवत्ता की सड़कों पर लग रहे आरोपो के बारे में पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता, अशोक कुमार ने पीडब्ल्यूडी के द्वारा बनायी जा रही सड़को के सभी मानकों को बताते हुए सड़क निर्माण की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखे जाने की बात कही, तो वही खराब सड़को को शिकायत मिलने पर जांच करने की भी बात कही, पर इस सब के बीच जहाँ – जहाँ हाल ही में बनी सड़को पर गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है, उन जगह पर न तो अधिशासी अभियंता साहब अभी तक गए और न ही कोई जांच के आदेश दिए गए, जिससे सड़क निर्माणदायी संस्था पीडब्ल्यूडी पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।