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उत्तराखण्ड

मानसून सीजन में पर्यटक अनजान, नदियों व झरनों से हैं बेफिक्र… बारिश से रहें सावधान।

मानसून सीजन में पर्यटकों के लिए नदियों और झरनों में नहाना खतरे से खाली नहीं है। पहाड़ों में लगातार बारिश होने के चलते नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने लगा है, साथ ही नदियों व प्राकृतिक झरनों में नहाने से पर्यटकों को परहेज करना चाहिए, कोविड-19 के चलते लंबे समय से घरों में कैद लोगों द्वारा बड़ी तादात में उत्तराखंड की वादियों की ओर रुख किया जा रहा है।

उत्तराखंड की हसीन वादियों में इन दिनों पर्यटक जमकर लुफ्त उठा रहे हैं। देवभूमि के मुख्य पहाड़ी पर्यटक स्थलों में पर्यटकों द्वारा प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद उठाया जा रहा है। नैनीताल व मसूरी समेत योगनगरी ऋषिकेश में भी पर्यटकों का भारी मात्रा में आवागमन जारी है। पर्यटक मानसून सीजन में मौज मस्ती के लिए नदियों व प्राकृतिक झरनों की ओर रुक कर रहे हैं। लगातार बारिश के चलते झरनों का रूप कब विकराल हो जाए किसी को पता नहीं होता।

इन दिनों पहाड़ों से बहने वाले झरनों के मिट्टी की पकड़ भी कमजोर हो जाती है, ऐसे में झरनों के साथ पहाड़ से मलवा व पत्थर गिरने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। जिससे साफ तौर पर पर्यटकों को घायल होने की संभावना ज्यादा बन सकती है। मानसून सीजन में इन दिनों ऋषिकेश व उसके आसपास पर्यटक नीरगडडू, फूलचट्टी और कालीकुण्ड के झरनों की ओर रुक कर रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन की ओर से सैलानियों की सुरक्षा के लिए कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं होते, लगातार बारिश से गंगा सहित कई नदियां उफान पर हैं। नदियों का जलस्तर बढ़ने के बाद भी घटटूगाड, बैरागढ़, शिवपुरी समेत कई क्षेत्रों में कैम्पों का संचालन किया जा रहा है, ऐसे में अचानक गंगा और उसकी सहायक नदियों का कब जलस्तर बढ़ जाए, इसका किसी को भी अंदाजा नहीं होता। कहीं ना कहीं पर्यटकों की जान पर बन सकती है।

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