उत्तराखण्ड
मैं अतिक्रमण का खुद विरोधी हूं, पर कार्रवाई एक समान हो : सुमित
मैं अतिक्रमण का खुद विरोधी हूं। लेकिन जो ये लोग आज हटाये गए है, वे 40-50 साल से वहाँ कारोबार कर रहे थे। नगर निगम को तहबाजारी के अलावा हर टैक्स (बिजली-पानी) देकर वहाँ से अपने जीवन की आजीविका का संचालन कर रहे थे। जिस क्रूरता के साथ बिना समय दिए हुवे उनको उजाड़ फेंकने का जो अभियान आज चला मैंने उसकी खिलाफत करी और खिलाफत के लिए मैं जब जा रहा था।
भाजपा की दमनकारी सरकार के निर्देश में शासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा मुझे घर पर ही नजरबंद किया गया। हमारे अन्य लोग जो वहाँ स्थल पर पहुँच गए थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया जिसमे पार्षदगण थे। अतिक्रमण अगर हटाना है तो ये ऊपर से नीचे (टॉप टू बॉटम) की प्रक्रिया होनी चाहिए। शुरुआत अगर इनको करनी है तो नेताओ के घरों से नाप कर और वहाँ अगर अतिक्रमण हो तो उसे हटाये तो बेहतर रहेगा समाज में अच्छा संदेश जाएगा। गरीबो को हटाकर अगर इनको लग रहा है कि इनका संदेश अच्छा है तो गरीबो की हाय
इनको लगना तय है। और जिस प्रकार से आर्थिक तौर से गरीबो को मार डालने की जो साजिश ये रच रहे है इसका इनको गंभीर अंजाम भुगतान पड़ेगा।