उत्तराखण्ड
हैलो हल्द्वानी का संकल्प: सालभर गूंजेगी जलवायु चेतना की आवाज, विशेषज्ञों से लगातार होगा संवाद
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सामुदायिक रेडियो ‘हैलो हल्द्वानी’ ने पूरे जोश और संकल्प के साथ विश्व रेडियो दिवस मनाया। इस साल की थीम “जलवायु परिवर्तन और रेडियो” को केंद्र में रखते हुए, रेडियो स्टेशन ने जलवायु जागरूकता को अपनी प्राथमिकता बनाने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, जो स्वयं भौतिकी के प्रोफेसर हैं, ने कहा,ग्लोबल वार्मिंग अब भविष्य की चुनौती नहीं, बल्कि हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुकी हकीकत है। बदलता मौसम, बढ़ती गर्मी और अनियमित बारिश खतरे की घंटी बजा रहे हैं। ऐसे में ‘हैलो हल्द्वानी’ रेडियो की भूमिका और अहम हो जाती है। हमारा प्रयास रहेगा कि जलवायु परिवर्तन को सिर्फ बहस का मुद्दा न रहने दिया जाए, बल्कि इसके प्रति जन जन को जागरुक किया जाए। रेडियो निदेशक प्रो. (डॉ.) गिरिजा प्रसाद पांडे ने इस अवसर पर कहा कि रेडियो न सिर्फ सूचनाओं का माध्यम है, बल्कि बदलाव का भी माध्यम है। उन्होंने कहा कि हमें स्टूडियो से बाहर निकलकर समुदाय के बीच जाकर जागरूकता फैलानी होगी, और ‘हैलो हल्द्वानी’ इसके लिए पूरी तरह तैयार है।” इस अवसर पर रेडियो प्रभारी प्रो. (डॉ.) राकेश चंद्र रयाल ने कहा,”हम सिर्फ आज नहीं, बल्कि पूरे साल जलवायु परिवर्तन से जुड़े कार्यक्रमों को प्राथमिकता देंगे, ताकि हर वर्ग इस गंभीर समस्या को समझे और समाधान का हिस्सा बने।” इस मौके पर रेडियो हैलो हल्दवानी के आरजे अनिल नैनवाल और आरजे सुनीता भट्ट ने जलवायु परिवर्तन पर विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की खास पेशकश में वल्र्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के जलाशय, नदियाँ और वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट विंग के निदेशक डॉ. नितिन से विशेष चर्चा की गई। उन्होंने कहा,”अगर हमें अपनी नदियाँ, जलाशय और वेटलैंड्स बचाने हैं, तो हमें अपने स्तर पर पहल करनी होगी। जल संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज का कर्तव्य भी है।” ‘हैलो हल्द्वानी’ रेडियो इस मिशन के साथ आगे बढ़ रहा है कि जलवायु चेतना केवल एक दिन की चर्चा बनकर न रह जाए, बल्कि सालभर इसकी गूंज सुनाई दे।
सामुदायिक रेडियो ‘हैलो हल्द्वानी’ – ज्ञान और जागरूकता की आवाज
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का सामुदायिक रेडियो ‘हैलो हल्द्वानी’ (91.2 MHz), शिक्षा और सामाजिक जागरूकता का सशक्त माध्यम है। यह प्रातः 10:30 से सायं 4:30 तक प्रतिदिन प्रसारित होता है और कुल 6 घंटे की अवधि में शैक्षिक व सामुदायिक दोनों तरह के कार्यक्रमों का प्रसारण करता है।
शैक्षिक और सामुदायिक संतुलन
40% कार्यक्रम विश्वविद्यालय के लगभग 80,000 शिक्षार्थियों के लिए विषयगत व्याख्यान और अकादमिक चर्चाओं पर केंद्रित होते हैं।
60% कार्यक्रम स्थानीय समुदाय की भागीदारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित होते हैं।
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