Connect with us

आध्यात्मिक

हर्षिल – PM नरेन्द्र मोदी के प्रवास से उत्तराखंड की शीतकालीन और चारधाम यात्रा को मिली नई उड़ान, CM पुष्कर धामी की थपथपाई पीठ

देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे ने राज्य के शीतकालीन पर्यटन और चारधाम यात्रा को एक नई पहचान दी है। प्रधानमंत्री के मुखवा और हर्षिल प्रवास से न केवल शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा मिला, बल्कि आगामी चारधाम यात्रा के लिए भी मजबूत आधार तैयार हुआ है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन पर्यटन को विश्व पटल पर लाने के लिए विशेष पहल की। उन्होंने योग शिविर, कॉरपोरेट सेमिनार, फिल्म शूटिंग और सोशल मीडिया प्रमोशन जैसी योजनाओं पर जोर दिया। इससे उत्तराखंड के पर्यटन को नया आयाम मिलने की उम्मीद है।उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा राज्य के शीतकालीन पर्यटन के सबसे बड़े प्रमोशन के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यह पहल सफल हुई, जिससे कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन को वैश्विक पहचान मिली।प्रधानमंत्री मोदी पहले भी केदारनाथ धाम में रिकॉर्ड तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर चुके हैं। उन्होंने 28 जनवरी को ही राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन के दौरान शीतकालीन यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा जताई थी, जिसे उन्होंने पूरा भी किया।प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से मुखवा और हर्षिल क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब कोई प्रधानमंत्री गंगा मां के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। गंगोत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल और तीर्थपुरोहित रजनीकांत सेमवाल ने पीएम मोदी और सीएम धामी का आभार व्यक्त किया।प्रधानमंत्री का यह प्रवास 30 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए भी लाभकारी साबित होगा। इससे उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

Ad Ad

More in आध्यात्मिक

  • आध्यात्मिक

    देहरादून : देवभूमि दौरे से पहले पीएम मोदी ने दी यह बड़ी सौगात,सीएम पुष्कर धामी ने किया आभार व्यक्त…

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविन्दघाट से हेमकुंट साहिब के लिए रोपवे...

  • आध्यात्मिक

    खटीमा : सीएम पुष्कर धामी ने महाशिवरात्रि पर वनखंडी महादेव शिव मंदिर में सपत्नीक जलाभिषेक एवं पूजा अर्चना कर प्रदेश में सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना…

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज महाशिवरात्रि के अवसर पर चकरपुर, खटीमा स्थित श्री वनखंडी महादेव...

  • आध्यात्मिक

    चमोली- डीएम संदीप तिवारी की सराहनीय पहल पर इनर लाइन परमिट के लिए ऑनलाइन आवेदन सुविधा शुरू

    चमोली : चमोली जिले के भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में स्थित माणा पास, रिमखिम पास और नीती...

  • आध्यात्मिक

    प्रयागराज : महाकुंभ के त्रिवेणी संगम में सीएम पुष्कर धामी ने अपनी पूज्य माता को स्नान कराकर अत्यंत भावुक और अविस्मरणीय क्षण का किया अनुभव…

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पावन जल में अपनी...

  • आध्यात्मिक

    प्रयागराज : देवभूमि से संगम नगरी पहुंचे सीएम पुष्कर धामी,महाकुंभ 2025 में उत्तराखण्ड मंडपम का किया अवलोकन…

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज प्रयागराज, उत्तर प्रदेश पहुंचकर महाकुंभ 2025 में स्थापित किए गए...

  • आध्यात्मिक

    हल्द्वानी : भक्ति का सुगंध बिखेरते हुए 58वें निरंकारी सन्त समागम,सफलतापूर्वक समापन जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

    भक्ति का सुगंध बिखेरते हुए 58वें निरंकारी सन्त समाम का सफलतापूर्वक समापन जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराजहल्द्वानी 28 जनवरी, 2025:- ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार            समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।             मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई।  निरंकारी प्रदर्शनीसमागम में ’विस्तार-असीम की ओर’इस मुख्य विषय पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी श्रोताओं के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी रही। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः दो भागों में विभाजित किया गया था जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी दी गई थी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया गया था जिसमें प्रोजेक्ट वननेस जो पुरे भारतवर्ष में चल रहे है उसके सम्बंधित कुछ विशेष मॉडल्स इस प्रदर्शनी का केंद्रबिंदू बने रहे। इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट अमृत और निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स को देखने के लिए श्रद्धालु जन उत्साहित दिखाई दिए।    कायरोप्रॅक्टिक शिविरसमागम में काईरोप्रैक्टिक तकनीक के द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ का शिविर आयोजित किया गया। यह तकनीक पूर्ण तोर पर रीढ़ की हड्डी से जुडी है। इस तकनीक द्वारा हर रोज लगभग हजार लोग समागम में इस सेवा का लाभ उठा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया, यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, अमेरिका के 18 डॉक्टरों की टीम समागम ग्राउंड में अपनी निस्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रही थी। इस वर्ष करीब 3500 से अधिक जरुरतमंद श्रद्धालुओं ने इस स्वास्थ्य सुविधा का लाभ प्राप्त किया। निःशुल्क डिस्पेन्सरीसमागम स्थल पर 60 बिस्तर का एक अस्पताल बनाया गया था जिसमें किसी को कोई गंभीर समस्या आने पर आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई थी। इसके अतिरिक्त समागम स्थल पर तीन स्थानों पर होम्योपैथी डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिसमें रोजाना 3 से 4 हजार जरुरतमंद श्रद्धालु लाभ प्राप्त कर रहे थे। समागम स्थल पर 11 एम्बुलेंस रखी गई थी। वाय.सी.एम.ए.अस्पताल और डी.वाय.पाटिल  अस्पताल द्वारा भी अपनी डिस्पेन्सरीज की सेवायें उपलब्ध कराई गई थी। इन डिस्पेंसरियों में 282 डॉक्टर्स की टीम एवं लगभग 450 सेवादल स्वयंसेवक अपनी सेवाएं दे रहे थे। लंगर            समागम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क लंगर की व्यवस्था तीन स्थानों पर  की गई थी जिसमें सतगुरु प्रवचन के के अलावा 24 घंटे लंगर उपलब्ध किया जा रहा था। इस लंगर व्यवस्था में 72 क्विंटल चावल एक ही समय पर पकाने की क्षमता थी। 70 हजार श्रद्धालु एक ही समय भोजन कर सकते थे। इसके अतिरिक्त अत्यधिक रियायति दरों पर 4 कॅन्टीन्स  की व्यवस्था की गई थी जिसमें अल्पाहार, मिनरल वाॅटर एवं चाय-काॅफी इत्यादि सामग्री प्राप्त हो रही थी।

Trending News

Follow Facebook Page

संपादक –

नाम: हर्षपाल सिंह
पता: छड़ायल नयाबाद, कुसुमखेड़ा, हल्द्वानी (नैनीताल)
दूरभाष: +91 96904 73030
ईमेल: [email protected]