उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- उत्तराखंडी सिनेमा को नया आयाम देगी ‘गढ़-कुमौं’, आप देखेंगे पहाड़ की परम्पराओं का अनूठा संगम
उत्तराखंड के प्रख्यात लेखक और निर्देशक अनुज जोशी की नई फिल्म ‘गढ़-कुमौं’ पर्दे पर आ चुकी है। जिसे देहरादून के सेंट्रियो मॉल और हल्द्वानी के वॉकवे मॉल में रिलीज किया गया है। फिल्म के निर्माता हरित अग्रवाल ने इसे गढ़वाल और कुमाऊं के बीच के रिश्तों पर आधारित फैमिली ड्रामा बताया है, जिसमें गढ़वाली और कुमाउनी बोलियों का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है।फिल्म की कहानी गढ़वाल और कुमाऊं के दो समाजों के बीच सदियों से चली आ रही कड़वाहट को समझने और उसे दूर करने की कोशिश करती है। रोमांस, ट्रेजडी और हल्की-फुल्की हास्य के साथ, यह फिल्म दोनों क्षेत्रों के परिवारों की आपसी चुहल और भावनात्मक जुड़ाव को बड़े पर्दे पर पेश करती है।फिल्म में उत्तराखंड के प्रतिभाशाली कलाकारों ने मुख्य और सहायक भूमिकाओं में जान डाल दी है। मुख्य कलाकारों में अंकिता परिहार, संजू सिलोड़ी, सुशील पुरोहित, राकेश गौड़, गोकुल पंवार, गम्भीर ज्याड़ा, अनिल शर्मा, डॉ. सुनीत नैथानी, बिनीता नेगी और आशा पांडे शामिल हैं।अनुज जोशी ने इससे पहले ‘मेरु गौं’, ‘तेरी सौं’, ‘असगार’ और ‘अजाण’ जैसी सफल फिल्में बनाई हैं, जो उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं। उनकी हाल ही में रिलीज हुई जौनसारी फिल्म ‘मैरै गांव की बाट’ को भी दर्शकों से खूब सराहना मिली। निर्माता हरित अग्रवाल का कहना है कि ‘गढ़-कुमौं’ केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि उत्तराखंड की एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने का प्रयास है। उनका मानना है कि यह फिल्म उत्तराखंडी सिनेमा को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने में मदद करेगी।गढ़-कुमौं उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक ताने-बाने को बड़े पर्दे पर दर्शाने का एक बेहतरीन प्रयास है। यह फिल्म स्थानीय दर्शकों के साथ-साथ देशभर में उत्तराखंड की अनूठी परंपराओं को प्रस्तुत करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।