उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- पीएम और गृह मंत्री का भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अहम योगदान : हेमंत द्विवेदी
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हेमंत द्विवेदी ने प्रधानमंत्री यशस्वी नरेन्द्र मोदी और लोकप्रिय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए लोकसभा ने तीन विधेयकों को पारित कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के प्रयासों से नए कानूनों में त्वरित न्याय देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक कानूनी रूप से लागू किए जाने के बाद देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा। वही प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने नेतृत्व में नए कानूनों में दंड की जगह न्याय देने पर जोर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) को भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), 1860 की जगह लाया गया है। मुख्य रूप से बीएनएस में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, आइपीसी में मौजूद 19 प्रविधानों को हटा दिया गया है। 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रविधान किया गया है।
छह अपराधों में ‘सामुदायिक सेवा’ की सजा का प्रविधान किया गया है। साथ ही दस्तावेज की परिभाषा में इलेक्ट्रानिक और और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल किए गए हैं। ‘चल संपत्ति’ की परिभाषा का विस्तार कर इसमें हर प्रकार की संपत्ति को शामिल किया गया है। महिला और बच्चे के खिलाफ अपराध पर नया अध्याय पेश किया गया है। संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, छोटे संगठित अपराध, हिट एंड रन, भीड़ की हिंसा, अपराध करने के लिए बच्चों को रखना, धोखे से महिलाओं का यौन शोषण, छीनना, भारत के बाहर रहकर उकसाना, भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्य और झूठी या फर्जी खबरों का प्रकाशन शामिल किए गए हैं। इलेक्ट्रानिक रूप से प्राप्त बयान ‘साक्ष्य’ की परिभाषा में शामिल किए गए। इलेक्ट्रानिक और डिजिटल रिकार्ड को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मानने के लिए और अधिक मानक जोड़े गए साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रिकार्ड की कानूनी मान्यता और वैधता होगी।