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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी: गर्मियों में गहराता जल संकट, शंकर कोरंगा ने पानी की बर्बादी पर जताई कड़ी नाराजगी, सख्त कार्रवाई की चेतावनी

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हल्द्वानी: उत्तराखंड में लगातार बढ़ती गर्मी के चलते कई क्षेत्रों में जल संकट गंभीर रूप लेता जा रहा है। हल्द्वानी सहित पर्वतीय और मैदानी इलाकों में पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे आमजन जीवन प्रभावित हो रहा है। इस संकट को देखते हुए राज्य स्तरीय जलागम परिषद के उपाध्यक्ष शंकर कोरंगा ने जल उपयोग को लेकर कड़ा संदेश जारी किया है।शंकर कोरंगा ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि होटल, रेस्टोरेंट, वॉटर पार्क, कार वॉश सेंटर और अन्य संस्थानों द्वारा पानी का दुरुपयोग बंद नहीं किया गया तो प्रशासन को मजबूरन सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा, “हम इस संकट को हल्के में नहीं ले सकते। यदि आवश्यकता पड़ी तो अनावश्यक जल उपयोग पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” जलागम परिषद के निर्देश पर जल्द ही निगरानी और जांच दलों का गठन किया जाएगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में पानी के उपयोग की नियमित निगरानी करेंगे। इनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। कोरंगा ने कहा कि जल संरक्षण को लेकर जन-जागरूकता के साथ-साथ जवाबदेही भी तय की जाएगी।शंकर कोरंगा ने आम नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि पानी की हर बूंद कीमती है और इसका विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जल संरक्षण केवल सरकारी नीति नहीं, बल्कि जनआंदोलन बनना चाहिए। घर-घर में जल बचत की आदत विकसित करनी होगी।” कोरंगा ने वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने, प्राकृतिक जलस्रोतों की सफाई और पुनर्जीवन पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय निकायों और पंचायतों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थानों में जल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।“यह जल संकट हमें चेतावनी ही नहीं, एक अवसर भी दे रहा है—संवेदनशील बनने का, सतत विकास की दिशा में सोचने का,” कोरंगा ने कहा। उन्होंने बताया कि जलागम परिषद राज्यभर में जल प्रबंधन के स्थायी मॉडल लागू करने के लिए योजनाबद्ध प्रयास कर रही है।गर्मी के इस दौर में जब जल स्रोत सूख रहे हैं और मांग चरम पर है, ऐसे समय में शंकर कोरंगा का स्पष्ट और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रशासन और जनता दोनों के लिए मार्गदर्शक है। जल संरक्षण की यह मुहिम यदि सामूहिक प्रयास में बदली जाए, तो आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाया जा सकता है।

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