उत्तराखण्ड
हल्द्वानी- फिर जमीनी घपला, RTI कार्यकर्ता रवि शंकर जोशी ने दर्ज कराई शिकायत…
आरटीआई कार्यकर्ता रवि शंकर जोशी ने शिकायत दर्ज करते हुए बताया कि हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में अनुसूचित जाति के व्यक्ति की भूमिं को तत्कालिन उपनिबन्धक, हल्द्वानी (प्रथम) द्वारा नियम-विरूद्ध सामान्य जाति के व्यक्ति के नाम विक्रय-बैनामा किए जाने तथा तत्कालिन नायब तहसीलदार, पच्छिमी वृत्त हल्द्वानी द्वारा विधि-विरूद्ध उक्त भूमि को राजस्व अभिलेखों / खतौनी में सामान्य जाति के व्यक्ति के नाम दर्ज किए जाने के संम्बध में शिकायती पत्र दिया है।
जिसमें उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति देवराम, पुत्र तुला राम के नाम ग्राम-देवला तल्ला पजाया, परगना भावर छः खाता, तहसील हल्द्वानी के खाता सं0-05 के खेत सं0-151/1 मि० में रगबा-0.032 है० कृषि- भूमि दर्ज अभिलेख थी। देवराम द्वारा अपनी उक्त कृषि-भूमि को अकृषि घोषित कराने हेतु मा० न्यायालय सहा० कलेक्टर (प्रथम श्रेणी) भावर / परगनाधिकारी हल्द्वानी के समक्ष ज०वि०एवंभू०सु०अधि० की धारा-143 के अन्तर्गत राजस्व वाद संख्याः 22/1700, 2015-16 दायर किया गया। अपने उक्त वाद में अनुसूचित जाति के वादी देवराम द्वारा अपनी उक्त भूमि को स्वंय के प्रयोजन हेतु अकृषि घोषित कराने तथा अकृषि घोषित होने की स्थिति में उक्त भूमि किसी अन्य जाति के व्यक्ति को विक्रय नहीं करने का शपथपत्र मा० न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राजस्व वाद संख्याः 22/1700, 2015-16 में मा० न्यायालय-सहा० कलेक्टर (प्रथम श्रेणी) भावर / परगनाधिकारी हल्द्वानी द्वारा “प्रश्नगत कृषि-भूमि को सामान्य जाति के व्यक्ति को भूमि विक्रय नही करने के प्रतिबन्ध के साथ” अपने आदेश दि०-20.02.2016 के माध्यम से अकृषि घोषित किया गया।
राजस्व वाद संख्याः 22/1700, 2015-16 में मा0 न्या०-सहा० कलेक्टर (प्रथम श्रेणी) भावर / परगनाधिकारी हल्द्वानी द्वारा जारी उक्त आदेश तहसीलदार हल्द्वानी को माल अभिलेखों में संशोधन हेतु तथा उपनिबंधक हल्द्वानी को पंजीयन हेतु प्रेषित किया गया। मा० न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में तहसील हल्द्वानी के राजस्व अभिलेखों / खतौनी में उक्त कृषि भूमि को अकृषि श्रेणी में संशोधित किया गया तथा सामान्य जाति के व्यक्ति को भूमि विक्रय नही करने हेतु लगाए गए प्रतिबंधों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया।
अकृषि घोषित होते ही अनुसूचित जाति के भूस्वामी देवराम ने अपने द्वारा दिए गए शपथ-पत्र तथा मा० न्यायालय-सहा० कलेक्टर (प्रथम श्रेणी) भावर / परगनाधिकारी हल्द्वानी द्वारा सामान्य जाति के व्यक्ति को भूमि विक्रय नही करने हेतु लगाए गए प्रतिबंधों का घोर उल्लघ्न/अवमानना करते हुए प्रश्नगत भूमि को एक सामान्य जाति के व्यक्ति (देवेन्द्र सिंह नेगी) को विक्रय कर दी गई, जिसका पंजीयन जिल्द सं0-2612 के पृष्ठ सं0-311 से 326 पर क्रमांक-2939 पर दि०-24 Jun 2017 को उपनिबन्धक हल्द्वानी (प्रथम) के कार्यालय में किया गया। तत्पश्चात सामान्य जाति के उक्त व्यक्ति (देवेन्द्र सिंह नेगी) द्वारा प्रश्नगत भूमि को पुनः सामान्य जाति के अन्य व्यक्ति (राजेश रावत) को विक्रय कर दी गई, जिसका पंजीयन जिल्द सं0-3451 के पृष्ठ सं0-33 से 48 पर क्रमांक-3127 पर दि०-19 Jun 2021 को उपनिबन्धक हल्द्वानी (प्रथम) के कार्यालय में किया गया तथा तितम्मा (भूल सुधार) का पंजीयन जिल्द सं0-3494 के पृष्ठ सं0-17 से 26 पर क्रमांक-4414 पर दि0-04 Aug 2021 को उपनिबन्धक हल्द्वानी (प्रथम) के कार्यालय में किया गया।
उक्त प्रकरण में अनुसूचित जाति के भूस्वामी देवराम द्वारा दिए गए शपथ-पत्र का तथा न्यायालय सहा० कलेक्टर (प्रथम श्रेणी) भावर / परगनाधिकारी हल्द्वानी द्वारा सामान्य जाति के व्यक्ति को भूमि विक्रय पर लगाए गए प्रतिबंधों का घोर उल्लंघन / अवमानना करते हुए तत्कालिन उपनिबन्धक, हल्द्वानी (प्रथम) द्वारा सामान्य जाति के एक व्यक्ति के नाम Jun 2017 में विक्रय-बैनामा किया गया, जो पूर्णतहः विधि-विरूद्ध है। तत्पश्चात तत्कालिन नायब तहसीलदार (पच्छिमी-वृत्त) हल्द्वानी द्वारा Apr 2021 में उक्त भूमि को विधि-विरूद्ध रूप से राजस्व अभिलेखों / खतौनी में सामान्य जाति के व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया, जबकि पूर्व से ही प्रश्नगत भूमि के राजस्व अभिलेखों /खतौनी में सामान्य जाति के व्यक्ति को भूमि विक्रय नही करने हेतु लगाए गए प्रतिबंधों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था।
साथ ही उन्होंने मांग करते हुए कहा कि प्रश्नगत प्रकरण में तत्कालिन उपनिबन्धक, हल्द्वानी (प्रथम) तथा नायब तहसीलदार, पच्छिमी वृत्त हल्द्वानी का आचरण भ्रष्ट प्रतित होता है। अतः शिकायतकर्ता के रूप में मैं रविशंकर जोशी प्रश्नगत प्रकरण में तत्कालिन उपनिबन्धक, हल्द्वानी (प्रथम) तथा नायब तहसीलदार, पच्छिमी वृत्त हल्द्वानी की भूमिका की जॉच करते हुए दोषियों के विरूद्ध कठोर दण्ड़नात्मक कार्यवाही करने तथा प्रश्नगत भूमिं को विधि-सम्मत एंव न्याय हित में ज०वि०एवंभू०सु०अधि० की धारा-167 के अन्तर्गत राज्य सरकार में निहित करने का विनम्र आग्रह करता हूँ।