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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी- हरीश रावत पर फर्जी मुकदमे के विरोध में दर्जनों सामाजिक संगठन एकजुट, आंदोलन की दी चेतावनी

उत्तराखंड में सामाजिक संगठनों का एक बड़ा समूह, पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत के समर्थन में एकजुट हो गया है। हरीश रावत के खिलाफ हाल ही में SC/ST एक्ट के तहत एक फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया है, जो उनके समर्थकों और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश का कारण बन गया है। इस फर्जी मुकदमे के विरोध में हल्द्वानी के सीओ नितिन लोहनी का सामाजिक संगठनों द्वारा घेराव किया गया।हरीश रावत, जो पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हैं, पिछले कुछ समय से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है पहाड़ के क्षेत्रों में भूमि कानूनों की सुरक्षा, मूल निवास कानून की स्थापना, और इन क्षेत्रों में संविधान की 5वीं अनुसूची को लागू कराना। रावत का मानना है कि इन कदमों से पहाड़ी क्षेत्रों के अधिकारों और संसाधनों की रक्षा की जा सकती है। उनका आंदोलन उन भू माफियाओं के खिलाफ है जो पहाड़ी भूमि का दोहन करना चाहते हैं।हरीश रावत के समर्थकों का आरोप है कि इस फर्जी मुकदमे के पीछे भू माफिया हैं, जिन्होंने नवीन आर्य नाम के एक व्यक्ति को मोहरा बनाकर यह मुकदमा दर्ज कराया है। नवीन आर्य का नाम पहले से ही कुछ आपराधिक मामलों में जुड़ा हुआ है। कुछ महीने पहले ही बनभूलपुरा थाने में 8 साल की बच्ची के अपहरण के मामले में BNS की धारा 137(2) के तहत उनका नाम शामिल था। सामाजिक संगठनों का कहना है कि ऐसे अपराधिक इतिहास वाले व्यक्ति का इस्तेमाल करके यह मामला दर्ज कराना स्पष्ट रूप से एक साजिश का हिस्सा है।घटना के बाद हल्द्वानी में दर्जनों सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर सीओ नितिन लोहनी का घेराव किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना किसी ठोस जांच के मुकदमा दर्ज किया गया, जो इस मामले को संदेहास्पद बनाता है। इन संगठनों ने हरीश रावत के समर्थन में खड़े होकर मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, और यदि साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरकर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।वक्ताओं का यह भी कहना था कि राज्य में आंदोलनकारी ताकतों पर ऐसे फर्जी मुकदमे कर जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार, भूपेंद्र कोरंगा, पीयूष जोशी और कई अन्य युवा नेताओं पर भी इसी तरह के मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उनका कहना है कि राज्य में हो रहे आंदोलनों को दबाने के लिए यह एक सोची-समझी साजिश है।इस आंदोलन में उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों और संस्थानों के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें उत्तराखंड एकता मंच के कॉर्डिनेटर एडवोकेट संजय राठौर, स्वराज हिंद फौज के अध्यक्ष सुशील भट्ट, उत्तराखण्ड चकबंदी मंच के अध्यक्ष केवला नंद तिवारी, परिवर्तन एक संकल्प के सचिव विनोद शाही, एकम सनातन दल के जिला अध्यक्ष गौरव गोस्वामी, और हिन्दू वालियंट्स के संयोजक भगवंत सिंह राणा प्रमुख हैं। इसके अलावा राज्यआंदोलनकारी आनंद बिष्ट, के एस मनराल, अरुण शाह, हिमांशु शर्मा, पंकज बिष्ट, जय सामंत, रमेश पंत, और अन्य प्रमुख लोगों ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।सभी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की जाती और साजिशकर्ताओं पर उचित कानूनी कार्रवाई नहीं होती, तो वे सभी सामाजिक संगठन मिलकर सड़कों पर उतरेंगे। आंदोलनकारी संगठनों ने दावा किया है कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से उठाया जाएगा, और हजारों लोग इस आंदोलन में शामिल होंगे।इस घटना ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है, और यह मामला राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और सामाजिक न्याय के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को किस तरह से हल करता है और हरीश रावत और उनके समर्थकों की मांगों को कितना गंभीरता से लेता है।

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