उत्तराखण्ड
क्या अब भी त्रिवेन्द्र देखते है मुख्यमंत्री बनने का सपना, क्योंकि पद से हटते ही कोई न रहा अपना…
उत्तराखण्ड भाजपा में इन दिनों एक तरफ चिंतन बैठक कर रही है, वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री तीरथ रावत के खिलाफ एक एजेंडे के तहत काम करवाया जा रहा है। एजेंडा तो तीरथ रावत के मुख्यमंत्री बनने वाले दिन से ही शुरू हो गया था, जिसके बाद षणयंत्रकारियो को संघ द्वारा फटकार भी लगाई गई थी।
कुछ दिन मामला शांत रहा फिर से एक सोची समझी रणनीति के तहत तीरथ के चुनाव न लड़ने को लेकर सवैधानिक संकट जैसी खबरों को बढ़ावा देना व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का कुमाऊँ दौरा, त्रिवेन्द्र के साथ चाहे भाजपा कार्यकर्ता कम हो या न हो पर उनके पर उन्हें अभी भी ऐसा लगता है कही चुनाव नही हुए तो वह फिर से मुख्यमंत्री बन सकतें हैं। उनके बयानों से यही प्रतीत होता है, राज्य में मुख्यमंत्री को बदले हुए 6 महीने से अधिक हो गया है, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री के पद पर उपचुनाव नहीं हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी विपक्ष की इस बात पर सहमति जताते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग को जल्द फैसला करना चाहिए, क्योंकि चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है और कोई भी व्यक्ति 6 माह से अधिक के समय तक मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रह सकता है। कही न कही पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा वर्तमान मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करने में चूकते नज़र नही आ रहें हैं। त्रिवेन्द्र के लगातार बयानबाजी के बाद से यही बात समझ आ रही है कि पार्टी के अंदर अभी भी मनभेद बरकरार हैं। साथ ही त्रिवेंद्र को लगता है कि उन्हें संवैधानिक संकट के नाम से हाईकमान पुनः सीएम बनाने का मौका दे सकती है, पर ये सिर्फ एक सपना है।