उत्तराखण्ड
देहरादून : पछुवा देहरादून में परिवार रजिस्टरों में क्या बढ़ाई गई मुस्लिम आबादी ?
उत्तराखंड : पछुवा देहरादून में परिवार रजिस्टरों में क्या बढ़ाई गई मुस्लिम आबादी ?राज्य बनने के बाद आखिर कैसे हिन्दू गांव हो गए मुस्लिम बाहुल्यसरकारी जमीनों पर कब्जे करने की मुहिम आखिर कैसे हुई कामयाब? कफर्जी दस्तावेजों से बने ग्राम प्रधानों की जांच का काम भी अधूराआखिर किसने दिया डेमोग्राफी चेंज को संरक्षण ? चित्र प्रतिकात्मकदेहरादूनदेहरादून जिले में परिवार रजिस्टरों एक षडयंत्र के तहत हेर फेर करके मुस्लिम आबादी का विस्तार किया गया है ? ये मामला प्रारंभिक जांच में सामने आ गया है और शासन प्रशासन ने अब इसके पीछे किस किस की भूमिका है इस पर और गहनता से जांच पड़ताल कराई जा रही है।हिमाचल और यूपी सीमा के बीच बसा हुआ पश्चिम देहरादून जिले का क्षेत्र जिसे पछुवा दून भी कहते है यहां डेमोग्राफी चेंज की समस्या उत्तराखंड सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।, यूपी से आई मुस्लिम जनसंख्या ने यहां की सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बसावट करती जा रही है, ग्राम सभा की जमीनों पर मुस्लिम आबादी को बसाने में स्थानीय मुस्लिम ग्राम प्रधानों,प्रधान पतियों की भूमिका सामने आई है साथ ही ग्राम पंचायत अधिकारियों की भूमिका को भी संदेह की नजरों से देखा जाने लगा है।बाहर से आई मुस्लिम आबादी ने पछुवा दून की नदी ,नहरों के किनारे, वन विभाग की जमीनों पर अवैध रूप से कच्चे पक्के मकान खड़े कर लिए है और अब इनके आधार कार्ड,वोटर लिस्ट में नाम दर्ज किए जा रहे है और इनमे ग्राम प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यो की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।पछुवा देहरादून के 28 गांव जो कभी हिंदू बाहुल्य हुआ करते थे वो अब मुस्लिम बाहुल्य हो गए है। आबादी की घुसपैठ का ये खेल हरीश रावत कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुआ जो अब तक बराबर चल रहा है। इन ग्रामों में मुस्लिम प्रधानों की हुकूमत चल रही है जो कभी भी मूल रूप से उत्तराखंड के निवासी थे ही नहीं।यूपी,बिहार, असम,बंगाल,यहां तक की बंग्लादेशी, म्यामार के रोहिग्या मुस्लिम आबादी यहां पछुवा दून में आकर कैसे बसती चली गई? इस सवाल का जवाब प्रशासन ने ढूंढना शुरू कर दिया है।देहरादून जिले में प्रेम नगर से हिमांचल पोंटा साहिब तक तक जाने वाली शिमला बाई पास, चकराता रोड के आसपास के इलाको में देवभूमि उत्तराखंड का सामाजिक,आर्थिक, धार्मिक स्वरूप बिगड़ चुका है। मुख्य मार्गो पर फड़ खोको के कब्जे है और उनके पीछे अवैध रूप से आबादी बस चुकी हैं। सरकारी जमीनों पर सौ से ज्यादा मस्जिदों मदरसों की ऊंची मीनारें दिखाई देती है।आखिर ऐसा कैसे हुआ कि पिछले कुछ सालो में ये इलाका एक दम बदल गया और यहां हिंदू अल्पसंख्यक होते चले गया और मुस्लिम आबादी ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया। लचर भू कानून बना वजह :जानकारी के अनुसार उत्तराखंड यूपी की सीमा वाला ये क्षेत्र हिमाचल से लगता है, हिमाचल ने सख्त भू कानून की वजह से कोई भी बाहरी व्यक्ति वहां जमीन नही खरीद सकता और न ही कब्जे कर सकता है। मुस्लिम आबादी वहां बाग बगीचे में कारोबार करने जाती है और अस्थाई रूप से रहती है और वापिस चली जाती है।किंतु उत्तराखंड में ऐसा नहीं है जिसका फायदा उठाते हुए बाहरी राज्यों के मुस्लिमो ने इस क्षेत्र में अपनी अवैध बसावट कर ली और जहां मौका मिला वहां जमीनों पर कब्जे कर लिए।पहले कुछ मुस्लिम यहां हिंदू बाहुल्य गांवों में आकर बसे धीरे धीरे वो अपने साथ अपने रिश्तेदारों को लाकर बसाने लगे फिर वो धन बल और वोट बैंक के बलबूते ग्राम प्रधान बनते चले गए और उन्होंने ग्राम सभा की सरकारी जमीनों पर अपने और मुस्लिम रिश्तेदारों को लाकर बसाना शुरू कर दिया ताकि उनका वोटबैंक और मजबूत होता जाए,यहीं मस्जिदें बनी और मदरसे खुलते चले गए यानि सरकारी जमीनों को कब्जाने का षड्यंत्र रचा गया जो आज भी जारी है। अवैध कब्जे करने का खेल सरकार की सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग की जमीनों पर भी धन बल और वोट बैंक की राजनीति के दमखम पर आज भी चल रहा है और इसमें सत्ता पक्ष विपक्ष के नेताओ का संरक्षण भी मिलता रहा है। राजनीति संरक्षण के पीछे बड़ी वजह यहां की नदियों में चल रहा वैध अवैध खनन है जहां हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है जो कि यहां के राजनीति से जुड़े नेताओ को धन बल की आपूर्ति करते है।उत्तराखंड सरकार या शासन ग्राम सभाओं की जमीनो की जिस दिन गंभीरता से जांच करवा लेगी तो उसे मालूम चल जाएगा कि उसकी ग्राम सभाओं की जमीन आखिर कहां चली गई? कहां बिक बिका का ठिकाने लगा दी गई? इन 28 गांवों के परिवार रजिस्टरों में कैसे बाहरी लोगों के नाम चढ़ते चले गए ? इस पर सवाल उठने लाजमी है।ढकरानी में शक्ति नहर किनारे अवैध कब्जे हुए, धामी सरकार ने दो चरणों में ये अतिक्रमण भी ध्वस्त किए और इसमें कई धार्मिक स्थल भी हटाएं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने अपनी जमीन उन्हे तारबाड़ से सुरक्षित नही की, अब यहां उत्तराखंड सरकार को सोलर प्रोजेक्ट लगाने है तो देहरादून जिला प्रशासन का बुल्डोजर गरजने लगा, यहां सात सौ से ज्यादा मकान ध्वस्त किए लेकिन यहां रहने वाली आबादी उत्तराखंड छोड़ कर नहीं गई वो आसपास ही मुस्लिम नेताओं के संरक्षण में फिर से अवैध कब्जे कर रही है और इस बार वो पीडब्ल्यूडी,वन विभाग की जमीनों पर बस रही है।इसी तरह सहसपुर,जीवन गढ़, तिमली,हसनपुर कल्याणपुर, केदाखाला, सरबा आदि ग्रामों की हालत है जहां ग्राम सभाओं की सरकारी जमीन पर बाहरी मुस्लिम आबादी यहां के प्रधानों ने लाकर बसा दी है।सूत्र बताते है कि यहां कब्जेदारों ने राशन कार्ड,आधार कार्ड और वोटर आईडी सब बनवा लिए है। जिसमें ग्राम प्रधान की मोहर की भूमिका ,संरक्षण देने वाली रही है।प्रधानों के फर्जी दस्तावेजऐसी चर्चा भी है कि ढकरानी और सहसपुर के ग्राम प्रधानों ने कथित रूप से अपने फर्जी दस्तावेजों के जरिए ही अपना पिछला कार्यकाल काट लिया और इनके मामले अदालती कारवाई में लटके हुए है। इन्हे किसका संरक्षण मिला ये सवाल भी उठ रहे है? धार्मिक संरक्षण का खेलजानकार बताते है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से यहां हो रहा है और इसके पीछे राजनीतिक शक्तियां ही नही धार्मिक शक्तियां भी काम कर रही है इस्लामिक संस्थाएं यहां पूरी तरह से मस्जिदों मदरसों में सक्रिय है और जमात के जरिए यहां मुस्लिम समुदाय को संचालित किया जा रहा है। मुस्लिम सेवा संगठन और अन्य संगठनों के माध्यम से राजनीति धार्मिक ताकत को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। ग्राम सभाओं पर इनका नियंत्रण हो चुका है आगे जिला पंचायत,फिर विधान सभा सीटों में इनका असर दिखाई देगा।ऐसे ही नही यहां यहां मुस्लिम राजनीतिक पार्टी या मुस्लिम यूनिवर्सिटी की आवाज़ पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान सुनाई दी थी। इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश दिखलाई देती है।वन विभाग के अधिकारी खामोशपछुवा देहरादून में नदियों किनारे अवैध रूप से बसाए गए लोगो को हटाने के आदेश कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय से दिए गए,किंतु इसका असर क्षेत्र के डीएफओ, वन निगम के अधिकारियों में नही दिखाई दिया, कभी फोर्स न होने देने का बहाना तो कभी वीआईपी ड्यूटी के बहाने देकर ये अभियान ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते है। विभागीय लापरवाही का आलम ये है कि अभी तक सरकारी विभागों ने इन अवैध कब्जेदारों को नोटिस तक जारी करने की जहमत नहीं उठाई।सीएम पुष्कर सिंह धामी का बयानपरिवार रजिस्टर में गड़बड़ झाला सवाल पर सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि शासन प्रशासन के संज्ञान में ये विषय आए है इसकी गहनता से जांच पड़ताल कराई जा रही है, हम यहां डेमोग्राफी चेंज नहीं होने देंगे। अवैध कब्जों को खाली करवाया जाएगा और यहां गहनता से सत्यापन कराया जाएगा।




